उत्तराखंड की राजनीति में एक बार फिर आपदा प्रबंधन को लेकर बहस छिड़ गई है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत ने आज देहरादून स्थित कांग्रेस मुख्यालय में एक प्रेस वार्ता आयोजित की,
जिसमें उन्होंने धराली में हाल ही में हुई आपदा को लेकर राज्य सरकार की कड़ी आलोचना की।
रावत ने आरोप लगाया कि सरकार ने आपदा पीड़ित परिवारों के साथ मजाक किया है और उन्हें दी जा रही सहायता राशि बेहद अपर्याप्त है।
उन्होंने इस सहायता को ‘ऊंट के मुंह में जीरे के समान’ बताते हुए तत्काल इसमें वृद्धि की मांग की।
प्रेस वार्ता के दौरान हरक सिंह रावत ने धराली आपदा के संदर्भ में सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए।
उन्होंने कहा कि आपदा में मारे गए लोगों के परिवारों को महज 4 लाख रुपये की सहायता प्रदान की जा रही है, जो उनके दुख को कम करने के लिए पर्याप्त नहीं है।
“यह राशि बहुत कम है सरकार को इसे बढ़ाना चाहिए ताकि पीड़ित परिवारों को कुछ राहत मिल सके,
” रावत ने जोर देकर कहा कि उन्होंने आपदा में घायल हुए लोगों को भी उचित सहायता नहीं मिल रही है। विशेष रूप से, 40-60% घायल व्यक्तियों को मात्र 74 हजार रुपये दिए जा रहे हैं, जो इलाज और पुनर्वास के लिए नाकाफी है।
रावत ने मांग की कि घायलों का इलाज पूरी तरह निशुल्क किया जाए और सहायता राशि में सुधार किया जाए।
रावत ने उत्तराखंड की पिछली आपदाओं का जिक्र करते हुए सरकार की लापरवाही पर प्रकाश डाला।
उन्होंने कहा कि लोग आज भी उत्तरकाशी भूकंप की घटना को नहीं भूल पाए हैं, जहां हजारों लोगों ने अपनी जान गंवाई और संपत्ति का भारी नुकसान हुआ।
इसी तरह, केदारनाथ धाम की 2013 की भयावह आपदा से भी सरकारों ने कोई सबक नहीं सीखा।
“उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य में आपदाएं आम हैं, लेकिन हमारी तैयारी हमेशा कमजोर रही है,” रावत ने अफसोस जताते हुए कहा।
उन्होंने वर्तमान आपदा प्रबंधन व्यवस्था को ‘निष्क्रिय’ करार दिया और कहा कि यह विभाग आज भी प्रभावी ढंग से काम नहीं कर रहा है।
कांग्रेस नेता ने आपदा प्रबंधन में सुधार के लिए कई सुझाव दिए। उन्होंने मांग की कि आपदा प्रबंधन इकाइयों का गठन तहसील स्तर पर किया जाए, ताकि स्थानीय स्तर पर त्वरित प्रतिक्रिया दी जा सके।
रावत ने कांग्रेस शासनकाल की याद दिलाते हुए कहा कि उनकी सरकार ने आपदा प्रबंधन केंद्रों को जिला स्तर तक पहुंचाने का काम किया था, लेकिन आज ये केंद्र ‘एक्टिव मोड’ में नहीं हैं।
“ये केंद्र निष्क्रिय पड़े हैं, जिससे आपदाओं के समय बचाव कार्य प्रभावित होता है,” उन्होंने आरोप लगाया।
इसके अलावा, उन्होंने आपदा प्रबंधन विभाग को ‘महत्वपूर्ण विभाग’ घोषित करने की मांग की, ताकि इसे अधिक संसाधन और प्राथमिकता मिले।
रावत ने फंडिंग के मुद्दे पर भी सरकार को घेरा। उन्होंने बताया कि कांग्रेस के समय में आपदा प्रबंधन 100% केंद्र पोषित था, लेकिन अब यह 90% केंद्र और 10% राज्य पोषित हो गया है।
“इस बदलाव से राज्य पर अतिरिक्त बोझ पड़ा है और आपदा राहत कार्य प्रभावित हुए हैं,” रावत ने कहा।
उन्होंने सरकार से अपील की कि वह एक बार फिर पीड़ितों की सहायता राशि पर पुनर्विचार करे, ताकि उनके दुख को कुछ हद तक कम किया जा सके।
“पीड़ित परिवारों की मदद करना सरकार का दायित्व है, न कि मजाक,” उन्होंने अंत में जोर दिया।
इस प्रेस वार्ता में कांग्रेस के कई अन्य नेता भी मौजूद थे, जो रावत के विचारों से सहमत दिखे।
धराली आपदा, जो हाल ही में भारी बारिश और भूस्खलन के कारण हुई थी, ने कई गांवों को प्रभावित किया है।
स्थानीय रिपोर्ट्स के अनुसार, इस आपदा में कई लोग लापता हैं और संपत्ति का भारी नुकसान हुआ है।
रावत की यह आलोचना ऐसे समय में आई है जब राज्य सरकार आपदा राहत कार्यों का दावा कर रही है, लेकिन विपक्ष इसे अपर्याप्त बता रहा है।
कांग्रेस की ओर से यह बयान राज्य की राजनीति को गर्मा सकता है, खासकर जब उत्तराखंड में आपदाएं एक संवेदनशील मुद्दा हैं।
सरकार की ओर से अभी तक इस प्रेस वार्ता पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन उम्मीद है कि जल्द ही इस पर स्पष्टीकरण दिया जाएगा।
पीड़ितों की मदद के लिए विपक्ष और सरकार के बीच सहयोग की आवश्यकता पर भी जोर दिया जा रहा है।