उत्तराखंड कांग्रेस में आगामी 2027 विधानसभा चुनावों की तैयारियों के बीच पार्टी के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल का रविवार को राजीव भवन में आयोजित स्वागत समारोह मंच पर बैठने के लिए कुर्सी तक उपलब्ध नहीं हुई।
आखिरकार, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष विधायक प्रीतम सिंह और केंद्रीय अध्यक्ष के मीडिया सलाहकार गुरदीप सिंह सप्पल ने आधी कुर्सी पर खुद बैठे व आधी पर नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल को बैठाया।
https://youtu.be/UO0IDbN4B9k?si=SyoygelhQB0W2eIk
कांग्रेस हाईकमान ने 11 नवंबर को गणेश गोदियाल को उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी (PCC) का अध्यक्ष नियुक्त किया था।
यह उनकी दूसरी पारी है—पहली बार 2021-22 में उन्होंने यह जिम्मेदारी निभाई थी।
नियुक्ति के साथ ही प्रीतम सिंह को चुनाव प्रचार समिति का चेयरमैन और डॉ. हरक सिंह रावत को चुनाव प्रबंधन समिति का चेयरमैन बनाया गया।
पार्टी ने 27 जिलाध्यक्षों की भी घोषणा की, जो 2027 चुनावों के लिए संगठन को मजबूत करने का प्रयास था।
लेकिन रविवार का स्वागत समारोह, जो गोदियाल की नई जिम्मेदारी का जश्न होना चाहिए था, एक फजीहत का सबब बन गया।
राजीव भवन के मंच पर सैकड़ों कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में गोदियाल को कोई कुर्सी नहीं मिली।
सूत्रों के अनुसार, मंच पर सीमित व्यवस्था थी और नए अध्यक्ष के लिए जगह पहले से आरक्षित कुर्सी पर कोई ओर बैठ गया।
गोदियाल जब मंच पर पहुंचे तो उन्होंने खड़े रहना पड़ा, तब प्रीतम सिंह और सप्पल ने अपनी कुर्सियां पर आधा-आधा बैठाया।
एक कार्यकर्ता ने बताया, “यह सम्मान का अवसर था, लेकिन अपमान बन गया। गोदियाल जी ने मुस्कुराते हुए स्थिति संभाली, लेकिन सबकी नजरों में यह पार्टी की अव्यवस्था साफ दिखी।”
पार्टी के अंदरूनी स्रोतों का कहना है कि यह ‘साधारण चूक’ थी, लेकिन कई कार्यकर्ता इसे पूर्व नेताओं की ‘प्रभावशाली भूमिका’ का संकेत मान रहे हैं।
गोदियाल की नियुक्ति को ‘गढ़वाल कार्ड’ कहा जा रहा है, क्योंकि प्रीतम सिंह और हरक सिंह रावत भी गढ़वाल से हैं। कुमाऊं के नेताओं में इससे गुस्सा भड़का है,
क्या कहते हैं नेता? बयानों से साफ झलक रही है फूट
गणेश गोदियाल: “यह छोटी सी बात है, पार्टी की एकता सबसे ऊपर है। हम 2027 में भाजपा को हराने पर फोकस करेंगे।”
हरीश रावत (पूर्व सीएम): गोदियाल से मुलाकात के बाद उन्होंने कहा, “नई टीम के साथ उत्तराखंड कांग्रेस नई ऊर्जा लाएगी।” लेकिन स्वागत समारोह पर चुप्पी साधे रहे।
राजनीतिक निहितार्थ: 2027 चुनाव से पहले बड़ा झटका?
यह घटना कांग्रेस के लिए शुभ संकेत नहीं है। 2022 चुनावों में पार्टी 32 सीटों पर सिमट गई थी, और अब 2027 की दौड़ में भाजपा मजबूत दिख रही है।
गोदियाल की नियुक्ति को हाईकमान ने ‘संतुलन’ बनाने के लिए किया था, लेकिन आंतरिक कलह ने सबकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि कुमाऊं-गढ़वाल की फूट न सुलझी, तो कांग्रेस को चुनावों में भारी नुकसान हो सकता है। विपक्ष ने इसे ‘कुर्सी की राजनीति’ का नाम देकर हमला बोला है।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “यह सिर्फ कुर्सी की बात नहीं, सम्मान की है।
पार्टी को जल्दी एकजुट होना होगा, वरना 2027 का सपना चूर हो जाएगा।”