उत्तराखंड में सभी राजनीतिक दल 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटते हुए दिख रहे हैं।
तो वही पिछले कुछ दिनों से पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ब्राह्मणों के प्रति अपने प्रेम और समर्पण को दिखा रहे हैं।
इसी कड़ी को आगे बढ़ते हुए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि सनातन धर्म ब्राह्मण और कांग्रेस तीनों का स्वभाव एक तरह है।
और यह तीनों समन्वयवादी और उदार हैं आगे हरीश रावत ने यह भी कहा कि जब से ब्राह्मण कांग्रेस से अलग हुए हैं तब से देश में असहिष्णुता भी बढ़ गई है।
और कांग्रेस भी कमजोर हो गई है वही जो ब्राह्मण कल तक दिया करता था आज वह मांगने वाला बन गया है।
तो वहीं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के ब्राह्मण प्रेम पर हंसते हुए भारतीय जनता पार्टी के विधायक विनोद चमोली ने कहा कि,
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत ने कभी भी ब्राह्मणों को बढ़ने नहीं दिया उन्होंने कुछ उदाहरण देते हुए
कहाकि जब प्रदेश उत्तर प्रदेश से अलग होकर उत्तराखंड बना तब सूबे के पहले मुख्यमंत्री कांग्रेस के एनडी तिवारी बने जो जाति से ब्राह्मण थे।
लेकिन नारायण दत्त तिवारी को हरीश रावत ने चैन से रहने नहीं दिया, पूर्व मुख्यमंत्री एन डी तिवारी को अपने कार्यकाल को पूरा करने के लिए,
150 लाल बत्तियां को बांटना पड़ा विवेकाधिन कोष का इस्तेमाल करना पड़ा जमीनों को कौड़ियों के भाव लीज पर देना पड़ा।
और ये सभी करवाने वाले हरीश रावत थे। वही प्रदेश को दूसरा ब्राह्मण मुख्यमंत्री कांग्रेस ने विजय बहुगुणा के रूप में दिया।
वहीं हरीश रावत ने विजय बहुगुणा को इतना परेशान किया कि उन्हें कांग्रेस ही छोड़ना पड़ गया आगे उन्होंने कहा कि हरीश रावत के ही कारण ब्राह्मणों का प्रेम कांग्रेस से टूटा है।