देवभूमि उत्तराखण्ड में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के 71वें राष्ट्रीय अधिवेशन के अंतर्गत प्रा. यशवंतराव केलकर युवा पुरस्कार समारोह में,
उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस पुरस्कार से गोरखपुर के श्रीकृष्ण पाण्डेय को पुरस्कृत किया।
श्रीकृष्ण पांडेय ‘आजाद’ ‘स्माइल रोटी बैंक फाउंडेशन’ के संस्थापक हैं और दो हजार से अधिक निराश्रित मनोरोगियों के उपचार-पुनर्वास,
बाल भिक्षावृत्ति उन्मूलन, नशामुक्ति, स्वच्छता-पर्यावरण संरक्षण तथा दो पुनर्वास केंद्रों के संचालन के माध्यम से समाजसेवा में उल्लेखनीय योगदन दिया है।
यह पुरस्कार वर्ष 1991 से प्राध्यापक यशवंतराव केलकर की स्मृति में दिया जा रहा है, जिन्हें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के शिल्पकार के रूप में जाना जाता है।
अभाविप के कार्यविस्तार एवं संगठन को व्यापक स्वरूप देने में उनकी महती भूमिका रही है। यह पुरस्कार अभाविप और विद्यार्थी निधि न्यास की संयुक्त पहल है, जो छात्रों की उन्नति तथा शिक्षा के क्षेत्र में कार्य हेतु प्रतिबद्ध है।
इस पुरस्कार का उद्देश्य युवाओं द्वारा किए जा रहे सामाजिक उद्यमों के कार्य को उजागर करना, उन्हें प्रोत्साहित करना,
सामाजिक उद्यमशीलता के प्रति युवाओं में कृतज्ञता भाव विकसित करना तथा युवा भारतीयों को सेवा कार्य के लिए प्रेरित करना है।
शिक्षा, समाज, पर्यावरण, विज्ञान जैसे क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले युवाओं को ‘प्रा. यशवंतराव केलकर युवा पुरस्कार’ दिया जाता है।
इस पुरस्कार में ₹1,00,000/-, प्रमाण-पत्र एवं स्मृति-चिह्न शामिल हैं।
राष्ट्रीय अधिवेशन के अंतिम दिवस पर ‘पर्याप्त वित्तीय आवंटन सहित सभी शैक्षणिक संस्थानों को एक संरचना के अंतर्गत लाने की आवश्यकता’,
‘बांग्लादेशी घुसपैठ: राष्ट्रीय सुरक्षा एवं लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए चुनौती’, ‘मानवीय क्रियाकलापों से उत्पन्न प्राकृतिक आपदाओं के निवारण हेतु समाज की भूमिका’,
तथा ‘विभाजनकारी ताकतों के विरुद्ध संगठित समाज ही समाधान’ विषयक इन चार प्रस्तावों को प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन के उपरांत पारित किया गया।
अभाविप द्वारा कुल पाँच प्रस्ताव प्रस्तुत किए गए थे, जिनमें से ‘समाज परिवर्तन का वाहन बने युवा’ प्रस्ताव को राष्ट्रीय कार्यकारी परिषद की बैठक में पूर्व ही पारित किया जा चुका था।
इसके उपरांत प्रो. यशवंतराव केलकर पुरस्कार समारोह आयोजित हुआ और अंत में अभाविप की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा की गई।
देवभूमि में चल रहे तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन में अभाविप की संगठनात्मक संरचना के अनुसार देशभर के 46 प्रांतों तथा मित्र राष्ट्र नेपाल से पंद्रह सौ से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
इस राष्ट्रीय अधिवेशन में शिक्षा, समाज, पर्यावरण, संस्कृति आदि विषयों पर देशभर से आए विद्यार्थी, प्राध्यापक तथा शिक्षाविद विमर्श कर रहे हैं।
अधिवेशन के पहले दिन 28 नवंबर को विश्व प्रख्यात अंतरिक्ष वैज्ञानिक एवं पूर्व इसरो अध्यक्ष डॉ एस सोमनाथ ने इस कार्यक्रम का उद्घाटन किया था।
दूसरे दिन देवभूमि की सड़कों पर अभाविप द्वारा भव्य शोभा यात्रा निकाली गई थी।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के 71वें राष्ट्रीय अधिवेशन में प्रा. यशवंतराव केलकर पुरस्कार समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि,
“आज देवभूमि उत्तराखण्ड की पवित्र धरती पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के 71वें राष्ट्रीय अधिवेशन एवं प्रोफेसर यशवंतराव केलकर पुरस्कार समारोह में उपस्थित होकर मुझे अत्यंत खुशी और गर्व की अनुभूति हो रही है।
सबसे पहले, इस वर्ष के प्रोफेसर यशवंतराव केलकर पुरस्कार के प्राप्तकर्ता गोरखपुर के श्रीकृष्ण पाण्डेय ‘आज़ाद’ को हृदय से बधाई देता हूँ।
उनका जीवन कार्य समाज के प्रति समर्पण, संवेदनशीलता और कर्तव्य का एक उज्ज्वल उदाहरण है।
मैं उन्हें हृदय से साधुवाद देता हूँ। साथियों, राज्य स्थापना के 25 वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर उत्तराखण्ड की धरती पर एबीवीपी का राष्ट्रीय अधिवेशन आयोजित होना,
हम सभी उत्तराखण्डवासियों के लिए अत्यंत गर्व का विषय है। आप सभी युवा यहाँ शिक्षा ग्रहण करते हुए, परिषद के कार्यकर्ता के रूप में देश की सेवा के संकल्प के साथ कार्य कर रहे हैं।
यह आपके चरित्र, अनुशासन और राष्ट्रभावना का प्रतीक है। समाज, विद्यार्थियों और राष्ट्र के लिए जो काम अभाविप कर रही है, वह पूरे युवा समाज के लिए प्रेरणादायी है।
मुझे यह जानकर अत्यंत आनंद हुआ कि इस अधिवेशन में भारत के विभिन्न राज्यों के साथ-साथ हमारे पड़ोसी देश नेपाल से भी बड़ी संख्या में परिषद के कार्यकर्ता भाग ले रहे हैं।
यह राष्ट्रीय अधिवेशन एक सामान्य आयोजन नहीं है यह राष्ट्र निर्माण का एक पवित्र यज्ञ है।
देशभर से आए हुए युवाओं के विचार और संकल्प आने वाले वर्षों में राष्ट्र को नई दिशा देंगे, इसमें कोई संदेह नहीं है।
यह वर्ष स्वयं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष का भी साक्षी है।संघ जन्मशती यात्रा के माध्यम से भारत में सांस्कृतिक पुनर्जागरण, संगठन और सेवा की अविरल धारा को पुनः प्रज्वलित किया जा रहा है।
देश में जब भी कोई संकट आया आपातकाल में लोकतंत्र पर हमला, शिक्षा सुधार के संघर्ष, सीमाओं पर संकट, छात्र आंदोलनों की व्यवस्थाएँ,
हर जगह परिषद के कार्यकर्ता अग्रिम पंक्ति में खड़े रहे। हजारों कार्यकर्ताओं ने लोकतंत्र की रक्षा के लिए यातनाएँ सहीं, पर लोकतांत्रिक ज्योति बुझने नहीं दी।
आज वहाँ “भारत माता की जय” के नारे जिस शक्ति और उत्साह से गूँजते हैं, वह परिषद की दशकों की सतत तपस्या का परिणाम है।
भारत की सबसे बड़ी ताकत उसकी युवा शक्ति यदि सही दिशा में प्रयुक्त हो जाए, तो भारत न केवल आर्थिक महाशक्ति बनेगा, बल्कि पुनः विश्वगुरु के रूप में प्रतिष्ठित होगा।
मुझे विश्वास है कि इस अधिवेशन से निकली ऊर्जा, विचार और संकल्प राष्ट्र निर्माण में नए अध्याय रचेंगे। मैं पुनः श्रीकृष्ण पाण्डेय को उनके उत्कृष्ट सामाजिक योगदान के लिए बधाई देता हूँ।
और सभी कार्यकर्ताओं को सफल अधिवेशन के लिए शुभकामनाएँ देता हूँ।