मध्य प्रदेश में कफ सिरप पीने से 15 बच्चों की मौत के बाद अब पूरे देश में दवा कंपनियों और दुकानों पर शिकंजा कसना शुरू हो गया है।
हरिद्वार और रुड़की में औषधि विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है। औचक निरीक्षण में कई खामियां सामने आई हैं,तो मानक प्रक्रिया की धज्जियां उड़ती दिखीं।
ऐसे ही रुड़की और भगवानपुर में केन्द्रीय औषधि नियंत्रण विभाग और उत्तराखंड ड्रग विभाग की टीम ने सिरप बनाने वाली तीन कंपनियों और कई दवा दुकानों का औचक निरीक्षण किया।
वरिष्ठ औषधि निरीक्षक अनीता भारती की अगुवाई में हुई इस कार्रवाई के दौरान सिर्फ एक कंपनी में सिरप बनता मिला, जो पशुओं के लिए सिरप तैयार कर रही थी।
टीम ने सभी कंपनियों को मानक के अनुरूप ही उत्पादन करने के सख्त निर्देश दिए।
टीम ने भगवानपुर और रुड़की की दवा दुकानों में भी जांच की और शक के आधार पर पांच सैंपल लिए और उन्हें जांच के लिए लैब भेजें गए।
औषधि विभाग द्वारा जांच की खबर मिलते ही दवा विक्रेताओं में हड़कंप मच गया कुछ तो दुकानदार अपनी दुकान बंद करके मौके से फरार भी हो गए।
विभाग अब संदिग्ध दुकानदारों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई की तैयारी में है।
इसी बीच हरिद्वार के सिडकुल क्षेत्र में भी औषधि विभाग की टीम ने बड़ी कार्रवाई की।
वरिष्ठ औषधि निरीक्षक अनीता भारती ने केंद्रीय टीम के साथ मिलकर एक फैक्ट्री में छापेमारी की, जहां कफ सिरप निर्माण के दौरान जीएमपी मानकों की खुली अनदेखी हो रही थी।
टीम ने गंभीर खामियां मिलने पर फैक्ट्री का पूरा स्टॉक सील कर दिया और तीन बैचों को रोक दिया गया है।
कफ सिरप के नमूने जांच को लैब भेजे गए हैं, और फिलहाल कंपनी का उत्पादन बंद करा दिया गया है।
वरिष्ठ औषधि निरीक्षक भारती ने बताया कि सिरप निर्माण करने वाली इकाइयों और दवा दुकानों का औचक निरीक्षण किया है।
सभी को मानक प्रक्रिया का पालन करने के निर्देश दिए गए हैं। जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
इतना ही नहीं, औषधि विभाग ने इस फैक्ट्री का लाइसेंस निरस्त करने की संस्तुति भी की है।
विभाग का कहना है कि किसी भी हालत में बच्चों की जान से खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा।