उत्तराखंड कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने गांधी पार्क, देहरादून में एकत्र किसानों की “बागवान न्याय यात्रा” में पहुंचे।
इस अवसर पर करन माहरा ने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने किसानों और बागवानों को सपने दिखाए और कहा गया कि सेब,
कीवी और अन्य फलदार पौधों के बाग लगाइए, सरकार आपको सब्सिडी देगी, सहारा देगी, आत्मनिर्भर बनाएगी।
इनमें भरोसा करके किसानों और बागवानों ने अपनी जमीनें, मेहनत, समय और पूंजी सब कुछ दांव पर लगा दिया।
लेकिन आज हालात यह हैं कि बाग तो लग गए, पर सरकार की सब्सिडी सिर्फ कागज़ों में ही घूम रही है।
किसान महीनों से दफ्तर-दफ्तर भटक रहे हैं, फाइलें बन रही हैं, फोटो खिंच रही हैं, पर सब्सिडी नहीं मिल रही।
मजबूर होकर ऐसे ही परेशान बागवानों का एक बड़ा जत्था देहरादून गांधी पार्क में धरने पर बैठा।
यह धरना नहीं बल्कि यह किसानों की बेबसी और टूटी उम्मीदों की आवाज़ है।
करन माहरा ने आगे कहा कि मुख्यमंत्री मंचों पर बड़ी-बड़ी बातें करते हैं कि “सब्सिडी ज़रूर मिलेगी”, “किसानों का हक नहीं छीना जाएगा।” लेकिन सच्चाई यह है कि ज़मीन पर कुछ और ही खेल चल रहा है।
किसानों को यह कहकर रोका जा रहा है कि जब तक कुल सब्सिडी का 25% एडवांस में किसी ‘ख़ास व्यक्ति’ के हाथ में नहीं रखा जाता,
तब तक एक रुपये की भी सहायता नहीं मिलेगी। यानी बिना ‘कट’ दिए किसान को उसका हक नहीं मिलेगा। यह सीधे-सीधे किसानों के साथ धोखा है, छल है।
करन माहरा ने आगे कहा कि सरकार की यह व्यवस्था बागवानी को बढ़ावा देने के नाम पर सिर्फ़ भ्रष्टाचार का नया रास्ता खोल रही है।
जिन्होंने अपनी ज़मीन गिरवी रखकर बाग लगाए, अब वही किसान दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं।
किसानों को ‘कट-सट’ का खेल नहीं पता, और सरकार इसी भोलेपन का फायदा उठा रही है।
यह साफ़ संदेश है कि अगर सरकार ने तुरंत सब्सिडी जारी नहीं की, भ्रष्टाचार और दलाली की इस व्यवस्था को बंद नहीं किया,
तो किसान सड़क पर ही नहीं, विधानसभा के दरवाज़े तक जाएंगे।
यह सिर्फ सब्सिडी का मुद्दा नहीं, यह श्रम, सम्मान और किसान के भविष्य का सवाल है।