राज्य स्थापना दिवस की रजत जयंती के उपलक्ष्य में गढ़वाल भ्रातृ मंडल संस्था की ओर से,
क्लेमेंटाउन क्षेत्र में आयोजित पांच दिवसीय ‘गढ़ कौथिक’ मेले के दूसरे दिन का शुभारंभ नगर निगम देहरादून के महापौर सौरभ थपलियाल ने दीप प्रज्वलन कर किया।
महापौर ने इस अवसर पर कहा कि गढ़ कौथिक जैसे आयोजन न केवल प्रदेश की लोक संस्कृति को जीवंत बनाए रखते हैं,
बल्कि नई पीढ़ी को अपने मूल और परंपराओं से जोड़ने का कार्य करते हैं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की संस्कृति,
संगीत और लोककला हमारी पहचान हैं और ऐसे आयोजनों से इसका संरक्षण और संवर्धन होता है।
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण लोकगायक सौरभ मैठाणी और बिजेंद्र रावत के लोकगीत रहे।
उनके प्रस्तुत गीतों “बेडू पाको बारो मासा”, “नंदा देवी” और “फुलारी देवी” पर दर्शक झूम उठे।
पूरे पंडाल में तालियों और हुंकारों की गूंज ने माहौल को उत्सवमय बना दिया।
इसके साथ ही स्थानीय नृत्य दलों द्वारा छोलिया नृत्य, झोड़ा और थड्या जैसी पारंपरिक प्रस्तुतियों ने सभी का मन मोह लिया।
मेले में लगे स्टॉलों पर प्रदेश की पारंपरिक लोककला, हस्तशिल्प, बांस-बटान की वस्तुएं, ऊनी उत्पाद, और पहाड़ी जड़ी-बूटियों से बने जैविक उत्पाद प्रदर्शित किए गए हैं।
विशेष आकर्षण महिला स्वयं सहायता समूहों के स्टॉल रहे, जहां पहाड़ी व्यंजन और हस्तनिर्मित वस्तुएं प्रदर्शित की गईं।
यह प्रदर्शनी स्थानीय कारीगरों को आर्थिक संबल देने का एक सार्थक प्रयास बन रही है।
मेले में पारंपरिक अनाजों रागी, झंगोरा, मंडुवा, गहत, भट्ट, जौं आदि से बने व्यंजनों का स्वाद चखने के लिए लोगों की भारी भीड़ जुटी रही।
‘झंगोरे की खीर’, ‘मंडुवे की रोटी’ और ‘भट्ट की चुड़कानी’ जैसे पारंपरिक पकवानों ने आगंतुकों का मन मोह लिया।
तंबोला में बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक की उत्साही भागीदारी दूसरे दिन आयोजित तंबोला प्रतियोगिता भी आकर्षण का केंद्र बनी रही।
छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
हर नंबर की घोषणा पर पंडाल में तालियों और हंसी-ठिठोली की गूंज ने वातावरण को उल्लास से भर दिया।
कार्यक्रम का मंच संचालन यशवंती थपलियाल ने सरस व आकर्षक शैली में किया।
इस अवसर पर संस्था के अध्यक्ष ओ.पी. बहुगुणा, महासचिव दीपक नेगी, पूर्व जिला पंचायत सदस्य राजेश परमार, अशोक सुंदरियाल,
विनोद राई, रजन नौटियाल, उत्तम सिंह रौथाण, बादर सिंह रावत, जितेंद्र खंतवाल, राजुल नौटियाल, अभिषेक परमार, सुबोध नौटियाल,
और मनोज भट्ट सहित बड़ी संख्या में स्थानीय नागरिक, समाजसेवी और युवा स्वयंसेवक उपस्थित रहे।
समापन पर महापौर थपलियाल ने कहा कि ऐसे आयोजन उत्तराखंड की असली पहचान हैं।
उन्होंने आयोजकों को बधाई देते हुए कहा कि इस प्रकार के सांस्कृतिक उत्सव आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बनेंगे।