Explanation:- यूपीएससी ने बिजली दरों में वृद्धि पर दिया स्पष्टीकरण

देहरादून 08 दिसम्बर 2025

उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड प्रेस विज्ञप्ति जारी कर स्पष्टीकरण दिया कि प्रदेश के उपभोक्ताओं एवं सम्मानित जनप्रतिनिधियों के समक्ष यह स्पष्ट करना चाहता है।

कि हाल ही में बिजली दरों को लेकर प्रकाशित कुछ समाचार भ्रामक रूप में प्रस्तुत किए गए हैं, जिनसे उपभोक्ताओं के बीच अनावश्यक भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई है।

 यूपीसीएल पुनः यह स्पष्ट करता है कि बिजली दरों को न तो निगम स्वयं बढ़ाता है और न ही दरों में वृद्धि का कोई भी निर्णय यूपीसीएल के हाथ में होता है।

राज्य में बिजली दरों का निर्धारण केवल और केवल उत्तराखंड विद्युत नियामक आयोग द्वारा एक पारदर्शी प्रक्रिया, विस्तृत वित्तीय विश्लेषण और जनसुनवाई के बाद ही किया जाता है।

निगम का कार्य केवल नियामक मानकों के अनुसार आवश्यक आंकड़ों एवं सूचनाओं को आयोग के समक्ष प्रस्तुत करना है।

इसलिए यह कहना कि यूपीसीएल बिजली दरों में वृद्धि कर रहा है या उपभोक्ताओं पर बोझ डालना चाहता है, वास्तविकता से परे है।

मीडिया में प्रकाशित विद्युत दरों में लगभग 16% वृद्धि का उल्लेख किया गया है।

यूपीसीएल यह स्पष्ट करना चाहता है कि यह आंकड़ा नियमित वार्षिक टैरिफ़ वृद्धि नहीं है,

बल्कि पूर्व वित्त वर्षों के True-up  समायोजन से उत्पन्न एक तकनीकी वित्तीय आवश्यकता है।

True-up वह प्रक्रिया है जिसमें आयोग द्वारा स्वीकृत एआरआर और वास्तविक एआरआर के बीच के अंतर का समायोजन किया जाता है।

विशेष रूप से वर्ष 2024–25 के लिए आयोग ने अनुमानित एआरआर के आधार पर स्वीकृति प्रदान की थी, जबकि वास्तविक एआरआर अधिक निकली।

इस अंतर की पूर्ति हेतु लगभग 13.59% समायोजन की आवश्यकता उत्पन्न होती है।

यदि यूपीसीएल को उसके वैधानिक दावे समय पर प्राप्त हो जाते, तो यह अंतर उत्पन्न ही नहीं होता और 16% जैसा कोई आंकड़ा सामने नहीं आता।

इसलिए इस तकनीकी समायोजन को नई दर वृद्धि के रूप में प्रस्तुत करना सही नहीं है।

यूपीसीएल  द्वारा वर्ष 2026–27 के लिए एआरआर एवं टैरिफ़ याचिका में मात्र 2.64% सामान्य टैरिफ़ वृद्धि का प्रस्ताव रखा गया है,

जो उपभोक्ता हितों को प्राथमिकता देते हुए तैयार किया गया है। यह वास्तविक वृद्धि का प्रस्ताव है,

और मीडिया में उल्लेखित 16% आंकड़ा केवल True-up आधारित तकनीकी गणना का हिस्सा है, न कि उपभोक्ताओं पर लागू होने वाली नई दर।

टैरिफ़ प्रस्ताव अभी आयोग (यूईआरसी) के समक्ष प्रस्तुत किया जाना है तथा यूपीसीएल द्वारा टैरिफ़ से संबंधित संपूर्ण प्रस्ताव आयोग के निर्देशानुसार 10 दिसम्बर 2025 तक दायर किए जाएंगे।

इसके उपरांत आयोग एक पारदर्शी प्रक्रिया के अंतर्गत—

• सभी हितधारकों, उपभोक्ता संगठनों एवं आम नागरिकों से आपत्तियाँ और सुझाव आमंत्रित करेगा,

• प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में जनसुनवाई आयोजित करेगा,

• सभी अभ्यावेदनों, तकनीकी विवरणों एवं वित्तीय तथ्यों का परीक्षण करेगा,

• और उपभोक्ता हितों को सर्वोपरि रखते हुए अंतिम टैरिफ़ आदेश जारी करेगा।

अतः यह स्पष्ट है कि टैरिफ़ का अंतिम निर्धारण उपभोक्ता सहभागिता, पारदर्शिता और नियामकीय परीक्षण के बाद ही किया जाता है।

वर्तमान चरण में किसी भी वृद्धि को अंतिम या लागू माना जाना उचित नहीं है।

यह भी उल्लेखनीय है कि पिछले वर्षों में आयोग ने यूपीसीएल के प्रस्तावों की तुलना में काफी कम वृद्धि मंज़ूर की है।

उदाहरणस्वरूप, वित्त वर्ष 2025–26 के लिए  यूपीसीएल ने 12.01% वृद्धि का प्रस्ताव रखा था, जिसके विरुद्ध आयोग ने मात्र 5.62% वृद्धि अनुमोदित की।

इसी प्रकार वित्त वर्ष 2024–25 में यूपीसीएल द्वारा 27.06% टैरिफ़ वृद्धि का प्रस्ताव किया गया था, जबकि आयोग ने केवल 7.66% वृद्धि स्वीकृत की।

ये तथ्य सिद्ध करते हैं कि आयोग सदैव उपभोक्ता हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए संतुलित निर्णय लेता है।

यूपीसीएल यह भी रेखांकित करना चाहता है कि प्रदेश में बिजली आपूर्ति को बेहतर, सुचारु एवं विश्वसनीय बनाने हेतु निगम निरंतर बड़े पैमाने पर कार्य कर रहा है।

वितरण तंत्र को मजबूत करने हेतु उपकेंद्रों का निर्माण, ट्रांसफॉर्मर क्षमता वृद्धि, पुरानी लाइनों का उन्नयन,

भूमिगत केबलिंग और नेटवर्क सुदृढ़ीकरण जैसे कार्य नियमित रूप से किए जा रहे हैं। साथ ही स्मार्ट मीटरिंग, फॉल्ट प्रबंधन प्रणाली,

ऑनलाइन मॉनिटरिंग, डिजिटल बिलिंग और शिकायत निवारण जैसी आधुनिक तकनीकों का विस्तार उपभोक्ताओं तक तेज,

पारदर्शी और भरोसेमंद सेवाएं पहुँचाने में सहायक सिद्ध हो रहा है। इन प्रयासों के परिणामस्वरूप प्रदेश में लाइन लॉस में कमी आई है और आपूर्ति की विश्वसनीयता में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।

यूपीसीएल उपभोक्ताओं से यह भी कहना चाहता है कि निगम का उद्देश्य किसी भी रूप में उपभोक्ताओं पर अनावश्यक आर्थिक भार डालना नहीं है।

पूरे राज्य के उद्योगों, व्यापारियों, किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं को विश्वसनीय, किफायती और गुणवत्तापूर्ण विद्युत सेवाएं उपलब्ध कराना ही यूपीसीएल की सर्वोच्च प्राथमिकता है।

टैरिफ़ से संबंधित किसी भी प्रस्ताव पर अंतिम निर्णय केवल यूईआरसी द्वारा उपभोक्ता हितों को सर्वोपरि रखते हुए ही लिया जाएगा।

यूपीसीएल पूर्ण निष्ठा और पारदर्शिता के साथ राज्य की विद्युत व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के अपने दायित्वों का निर्वहन जारी रखेगा।

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