देहरादून-पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि उत्तराखंड में लेखक गांव का निर्माण एक अभिनव प्रयोग है। जिसका उद्देश्य लेखकों को ऐसा स्थान उपलब्ध कराना है, जहां पर वह शांत मन से प्रकृति की गोद में रहकर अपनी रचनाओं को धरातल पर उतार सके और अपने जीवन के अंतिम क्षण लेखक गांव में रहकर सम्मानपूर्वक व्यतीत कर सके।
लेखक गांव के निर्माण का प्रथम चरण पूरा हो चुका है और इसका अगला चरण निर्माणाधीन है। इस लेखक गांव की परिकल्पना साहित्यकार, लेखक और राजनेता पूर्व मुख्यमंत्री एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने की है।
निशंक ने अपनी परिकल्पना को बड़ी खूबसूरती से देहरादून के प्रकृति के सौंदर्य से भरपूर थानो गांव में उतारा है। अब यह गांव लेखक गांव के नाम से प्रसिद्ध हो गया है और विश्व मानचित्र पर स्थापित हो चुका है।
इस लेखक गांव में 50 बीघा क्षेत्र में फिलहाल 12 लेखक कुटीर बनाई गई हैं। हिमालय की तलहटी पर बसा लेखक गांव हर एक को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। लेखक गांव पूरे भारत का अकेला और पहला ऐसा गांव है, जो लेखकों के तीर्थ के रूप में विकसित होगा।
लेखक और पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी को मैंने अपनी पुस्तक भेंट करने के दौरान बाजपेई ने चिंता व्यक्त की थी कि इस देश में लेखकों का सम्मान नहीं हो रहा है। इसलिए पूर्व पीएम अटल बिहारी बाजपेई के सपनों को साकार करने के लिए देहरादून में लेखक गाँव को विकसित किया जा रहा है।