इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय वन अकादमी द्वारा 1979 बैच के भारतीय वन सेवा अधिकारी स्व. पी. श्रीनिवास की स्मृति में वार्षिक ‘पी.श्रीनिवास स्मृति व्याख्यान’ का आयोजन अकादमी के हरि सिंह ऑडिटोरियम में किया गया।
स्मृति व्याख्यान में सिद्धांत दास, भा.व.से. (से.नि.), अध्यक्ष, केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति ने मुख्य अतिथि के रूप में स्मृति व्याख्यान दिया।
कार्यक्रम का आरंभ दीप प्रज्वलन एवं स्व. पी. श्रीनिवास के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित किए जाने के साथ हुआ।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि द्वारा पौधारोपण भी किया गया।
पी. श्रीनिवास 1979 बैच के कर्नाटक कैडर के भा.व.से. अधिकारी थे। उनके कार्यकाल के दौरान कर्नाटक और तमिलनाडु राज्यों में हाथीदांत और चंदन के दुर्दांत तस्कर वीरप्पन के नाम की दहशत थी।
उसे पकड़ने के लिए सरकार द्वारा एक स्पेशल टास्कफोर्स का गठन किया गया था जिसमें स्व. पी. श्रीनिवास भी शामिल थे।
उनके अथक प्रयासों से वीरप्पन के मुख्य साथी और उसके भाई को सरेंडर करने के लिए राजी कर लिया गया।
वह पहले और एकमात्र ऐसे अधिकारी थे जो 1986 में वीरप्पन को गिरफ्तार करने में कामयाब हुए थे।
वीरप्पन द्वारा आत्मसमर्पण करने का झूठा संदेश भेजकर श्रीनिवास को अकेले और बिना हथियार के मिलने के लिए बुलाया।
किंतु वीरप्पन ने 37 वर्षीय निहत्थे पी. श्रीनिवास को 10 नवम्बर 1991 को नृशंस तरीके से मार दिया।
भारत सरकार द्वारा 26 जनवरी 1992 को पी. श्रीनिवास को मरणोपरांत कीर्तिचक्र से सम्मानित किया गया।
अकादमी द्वारा यह स्मृति व्याख्यान प्रत्येक वर्ष आयोजित किया जाता है ताकि लोकसेवा की यह प्रतिबद्धता भारतीय वन सेवा और राज्य वन सेवा के परिवीक्षार्थियों को अंतरित की जा सके।
आयोजन के मुख्य अतिथि सिद्धांत दास ने अपने व्याख्यान में कहा कि देश को ऐसे अनेक बहादुर, निष्ठावान और साहसी अधिकारियों की आवश्यकता है।
जिनमें सामाजिक कौशल भी हो। उन्होंने पी. श्रीनिवास के साहस और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी की समझ से प्रेरित होने की आवश्यकता पर बल दिया।
कार्यक्रम में भारती, निदेशक, इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय वन अकादमी, राज कुमार बाजपेयी अपर निदेशक,
अकादमी के अनेक संकाय सदस्य और कार्मिक के साथ-साथ अनेक वेटरन वन सेवा अधिकारी,
विभिन्न वन संस्थानों के प्रमुख और विभागाध्यक्ष, इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय वन अकादमी के 2024 बैच के परिवीक्षार्थी तथा एफआरआई डीम्ड यूनिवर्सिटी के छात्र उपस्थित थे।