भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने रविवार को डीवाई पाटिल स्टेडियम में खेले गए आईसीसी महिला क्रिकेट वर्ल्ड कप 2025 के फाइनल में,
दक्षिण अफ्रीका को 52 रनों से करारी शिकस्त देकर अपना पहला वर्ल्ड कप खिताब अपने नाम कर लिया।
यह भारत के लिए न सिर्फ क्रिकेट का, बल्कि पूरे खेल जगत का ऐतिहासिक पल साबित हुआ।
शाफाली वर्मा की धमाकेदार बल्लेबाजी और दीप्ति शर्मा की शानदार गेंदबाजी ने भारत को 298/7 का मजबूत स्कोर खड़ा करने,
और फिर दक्षिण अफ्रीका को 246 पर समेटने में अहम भूमिका निभाई।
कप्तान हरमनप्रीत कौर ने आखिरी कैच लपककर जीत को और यादगार बना दिया।
यह जीत भारत की महिला क्रिकेट के लिए एक नया अध्याय खोलती है।
लंबे समय से संघर्ष कर रही भारतीय टीम ने आखिरकार 1973 में शुरू हुए महिला वर्ल्ड कप में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में दर्ज करा लिया।
हरमनप्रीत कौर की अगुवाई में यह टीम न सिर्फ मैदान पर चमकी, बल्कि लाखों लड़कियों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनी।
दक्षिण अफ्रीका ने टॉस जीतकर भारत को बल्लेबाजी करने के लिए पहले आमंत्रित किया दक्षिण अफ्रीका ने जिसकी भारत ने शानदार तरीके से की।
ओपनर शाफाली वर्मा ने 87 रनों की स्फूर्तिपूर्ण पारी खेली, जो फाइनल की जान साबित हुई।
मात्र 21 साल की शाफाली, जो सेमीफाइनल से पहले रिजर्व में भी नहीं थीं,
ने दक्षिण अफ्रीकी गेंदबाजों की धज्जियां उड़ा दीं। उनकी आक्रामकता ने भारत को 50 ओवरों में 298/7 का चुनौतीपूर्ण स्कोर खड़ा करने में मदद की।
स्मृति मंधाना ने भी अहम योगदान दिया, जबकि हरमनप्रीत कौर ने मध्यक्रम में स्थिरता प्रदान की।
दक्षिण अफ्रीका की पारी शुरू तो अच्छी हुई, लेकिन भारतीय गेंदबाजों ने जल्द ही कमर तोड़ दी।
दीप्ति शर्मा ने 5/39 के शानदार आंकड़े के साथ मैच का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। उन्होंने महत्वपूर्ण विकेट झटके,
जिसमें लॉरा वोल्वार्ड्ट (57) का भी शामिल था, जो टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाली खिलाड़ी थीं।
शाफाली ने बल्लेबाजी के अलावा दो विकेट भी लिए, जबकि राधा यादव और रेनुका सिंह ने किफायती गेंदबाजी से दबाव बनाए रखा।
दक्षिण अफ्रीका 45.3 ओवरों में 246 पर सिमट गई। नादीन डी क्लर्क ने कुछ देर तक संघर्ष किया,
लेकिन 78 रनों का लक्ष्य आखिरी ओवरों में असंभव साबित हुआ।
भारतीय क्षेत्ररक्षण भी लाजवाब रहा। अमनजोत कौर ने लॉरा वोल्वार्ड्ट का महत्वपूर्ण कैच लपका,
जबकि हरमनप्रीत ने आखिरी गेंद पर नॉन स्ट्राइकर को रन आउट कर जीत पक्की की।
यह मैच दो बेहतरीन टीमों के बीच का था—भारत ने सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया को हराया था,
जबकि दक्षिण अफ्रीका ने इंग्लैंड को। लेकिन फाइनल में भारत ने अपनी होम ग्राउंड का फायदा उठाया।
प्रमुख आंकड़े: शाफाली और दीप्ति की जोड़ी ने रचा कमाल
भारत का स्कोर: 298/7 (50 ओवर) – शाफाली वर्मा 87, स्मृति मंधाना 50+, हरमनप्रीत कौर 40+।
दक्षिण अफ्रीका का स्कोर: 246/10 (45.3 ओवर) – लॉरा वोल्वार्ड्ट 57, नादीन डी क्लर्क 40+।
भारतीय गेंदबाज: दीप्ति शर्मा 5/39, शाफाली वर्मा 2/25, श्री चारणाई 1/48।
यह भारत की पहली महिला वर्ल्ड कप जीत है। इससे पहले 1982, 2005, 2017 में फाइनल हार चुकी थी।
प्रतिक्रियाएं: आंसू, गले लगना और भावुक पल
जीत के बाद मैदान पर खुशी का ठिकाना न रहा। खिलाड़ियां एक-दूसरे को गले लगाकर रो पड़ीं।
कप्तान हरमनप्रीत कौर ने कहा, “यह सपना सच हो गया। यह झंडा मेरे कंधे पर इतना भारी लगता था, लेकिन आज हल्का हो गया।
हमने न सिर्फ जीता, बल्कि महिला क्रिकेट को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।” स्मृति मंधाना ने भावुक होकर कहा, “हर वर्ल्ड कप में दिल टूटे हैं,
लेकिन हमारी जिम्मेदारी सिर्फ जीतना नहीं, बल्कि खेल को बढ़ाना था। आखिरकार हमने कर दिखाया।”
शाफाली वर्मा ने रोहित शर्मा का जिक्र करते हुए कहा, “वह क्रिकेट के मास्टर हैं, हमें उनसे प्रेरणा मिलती है।”
कोच अमोल मुजुमदार ने टीम को “हर भारतीय का गौरव” बताया।
दक्षिण अफ्रीकी कप्तान लॉरा वोल्वार्ड्ट ने हार स्वीकार करते हुए कहा, “हमारी टीम पर गर्व है। यह हार हमें मजबूत बनाएगी।”
पूर्व कप्तान मिताली राज ने ट्वीट किया, “यह मेरी टीम का सपना था, आज पूरा हुआ।
लड़कियां, आपने साबित कर दिया कि आसमान की कोई सीमा नहीं।” बॉलीवुड सितारे और राजनेता भी बधाई देने से पीछे न रहे। रोहित शर्मा की आंखें भी नम हो गईं।
महत्व: महिला क्रिकेट का नया दौर शुरू
यह जीत सिर्फ एक ट्रॉफी नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन का प्रतीक है।
भारतीय महिला क्रिकेट लंबे समय से संसाधनों और मान्यता की कमी से जूझ रही थी।
अब यह खिताब लाखों लड़कियों को प्रोत्साहित करेगा—कश्मीर से कन्याकुमारी तक।
पुरस्कार राशि में भी रिकॉर्ड 39 करोड़ रुपये का ऐलान हुआ है। आईसीसी ने इसे “महिला क्रिकेट का वाटरशेड मोमेंट” कहा।
टूर्नामेंट में भारत ने 8 में से 7 मैच जीते, जिसमें ऑस्ट्रेलिया जैसी दिग्गजों को हराया।
यह जीत 1983 के पुरुष वर्ल्ड कप की याद दिलाती है। अब सवाल यह है कि क्या यह सफलता महिला क्रिकेट को पुरुषों जितनी लोकप्रियता दिला पाएगी? आने वाले साल इसका जवाब देंगे।