चकराता – भादो मास में जौनसार क्षेत्र के आराध्य देव महासू देवता का जांगड़ा पर्व मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इसी क्रम में जौनसार में जांगड़ा पर्व की शुरुआत महासु मंदिर से शुरू हो चुकी है।
जागड़ा पर्व के मौके पर चकराता के गबेला गांव में कुकरसी देवता और दसऊ में चालदा महाराज के मंदिर में श्रद्धालुओं ने रात जागते हुए मन्नत मांगी सभी मंदिरों को खूब सजाया गया है। जौनसार में महासू भाइयों में बासिक महासू, पबासिक महासू, बूठिया महासू (बौठा महासू) और चालदा महासू हैं, जो कि भगवान शिव के ही रूप माने गए हैं। ईष्ट देव महासू देवता, चालदा महाराज, कुकरसी देवता का जांगड़ा पर्व हनौल, थेना, दसऊ गबेला, भंजरा, छोटूऊ, बिसोई और सलगा आदि मंदिरों में धूमधाम से मनाया जा रहा है।
जहां चकराता के मंदिरों में देव दर्शन को भक्त दूर दूर से आए वहीं श्रद्धालुओं ने अपने आराध्य देव से घर परिवार की और गांव की खुशहाली के लिए मन्नत मांगी। चालदा महाराज के जांगड़ा में हिमाचल के चकराता ब्लाक के ग्रामीण क्षेत्रों के साथ ही देहरादून व अन्य क्षेत्रों से भी लोग जागड़ा के लिए पहुंचे।
सुबह पहले गबेला गांव में कुकरसी देवता को ढोल ढमऊ की थाप पर मंदिरों से देव चिह्न और पालकियां निकाला कर देवता को स्नान करने के लिए देवता के कुंड पर ले गए। वहां सैकड़ों महिला और पुरूष पर देवता नाचे और स्नान किया और देवता के चिह्नों को भी स्नान भी कराया गया।
गबेला गांव के बाद लोग दसऊ गांव में चालदा महाराज के मन्दिर में पहुंचे चालदा महाराज के जांगड़ा में हजारों श्रद्धालुओं आए वहां महिलाओं ने अपनी पार पारंपरिक वेशभूषा में जौनसारी गीतों पर खूब नाच किया।
चालदा महाराज के स्नान के समय हजारों श्रद्धालुओं की मौजूदगी रही और चालदा महाराज के जयकारों के साथ श्रद्धालुओं चालदा महाराज के प्रतीक चिन्हों को अपने सिर पर उढकर स्नान करने के लिए ले गए।