देहरादून – उत्तराखंड सरकार जहां से अपना सारे कार्य करती है वहे सचिवालय में स्थित राजकीय चिकित्सालय का यह हाल है जिस सचिवालय से पूरे प्रदेश के कार्य संचालित होता है।
वही सरकारी अस्पताल में कर्मचारियों का समय पर ना पहुंचाना अपने आप में एक सवाल पैदा करता है कि उन्हें ना तो आईएएस व उच्च अधिकारियों का कोई खौफ है और ना ही मुख्यमंत्री का डर।
डॉक्टर तो सुबह आकर मरीज को देखना लग जाते हैं।लेकिन फर्मासिस्ट का 10:00 बजाने के बाद भी समय पर ना पहुंचाना।
समय से ना आने के कारण डॉक्टर को दिखाने आए मरीजों को दवा का वितरण भी नहीं होता है और वह चक्कर ही काटता रहता हैं।
पंजीकरण कर रहे कर्मचारी ही मरीज को ग्लूकोस चढ़ता है और दूसरे कार्य करता है। पंजीकरण मैंं भी झोलझाल है पंजीकरण पंडित दीनदयाल उपाध्याय से ही निर्धारित शुल्क है मगर इस डिस्पेंसरी में पंजीकरण शुल्क ₹30 ले रहे हैं ।
