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के. ए. खान उर्फ नदीम बरनी को उर्दू भाषा के लिए को प्रो. उन्वान चिश्ती पुरस्कार

“प्रो. उन्वान चिश्ती पुरस्कार”

(उर्दू भाषा में दीर्घकालीन साहित्य सेवा के लिए )


देहरादून – जीवन परिचय प्रो. उन्नवान चिश्ती का इनका जन्म 05 फरवरी, 1937 को मंगलौर, ज़िला हरिद्वार में पीरजादा शाह अनवरूल हसन अनवर ‘मंगलौरी’ के घर हुआ। उन्नवान चिश्ती ने उर्दू कवि के रूप में, एक विद्वान के रूप में,एक शिक्षक और समीक्षक के रूप में ख्याति प्राप्त की।

वे अहसानी गुन्नौरी के शिष्य थे और आगरा (शोएब मोहम्मदिया कालेज) दिल्ली (जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय) में उर्दू विभाग के अध्यक्ष रहे। वे मानविकी एवं भाषा संकाय के डीन रूप में सेवानिवृत्त हुए।

उर्दू कवि आलोचक उर्दू साहित्य के इतिहास के रूप में प्रसिद्ध उन्नवान चिश्ती का उर्दू भाषा और साहित्य के क्षेत्र में विरल योगदान रहा है। जौक ए जमाल’ ‘निमबाज’ ‘अक्स ओ शाखा’ उनकी कविताओं के प्रकाशित संग्रह है।

उनके कुछ ‘अशआर’ देखिए

‘रात कई आवारा सपने आंखों में लहराए थे’

शायद वो खुद भेस बदल कर नींद चुराने आए थे।

जीवन के वो प्यासे लम्हें बरसों में रास आए थे रात तिरी जुल्फो के बादल मस्ती में लहराए थे।

हाए वो महकी महकी रातें हाए वो बहके बहके दिन जब वो मेरे मेहमां बन कर मेरे घर में आए थे।

तुमको भी आगाज-ए-मोहब्बत याद तो होगा कम से कम पहले-पहल मिलते ही नज़रे हम दोनों शरमाए थे।

हाय वो रब्त-ओ-जब्त-ए मोहब्बत हाए ये- पास-ए-शर्त-ए वफा आज मिलने पर भी खुश है कल मिलकर पछताए थे।

 

के. ए. खान उर्फ नदीम बरनी उर्दू भाषा के लिए को प्रो. उन्वान चिश्ती पुरस्कार दिया।इनके पिता का नाम स्व. आजम अली खान,इनकी माता का नामस्व. अजीज फातिमा

जन्मतिथि 15 अगस्त, 1934, स्थायी निवास का पता बी0 72. नेहरू कालोनी, देहरादून।इनका कार्यक्षेत्र पूर्व उपनिदेशक (प्रशासनिक) तेल एवं प्राकृतिक गैस कॉरपोरेशन, देहरादून।

शिक्षा बी.ए. (उर्दू विषय)

पूर्व में प्राप्त सम्मान आजर ऐकेडमी अलीगढ़ उर्दू शायरी के लिए डॉ. शिवानंद नौटियाल सम्मान हिन्दी शायरी के लिए दो बार सम्मान उत्कृष्ट कार्य के लिए तेल एवं प्राकृ‌तिक गैस कॉरपोरेशन, देहरादून।पछवादून साहित्यिक चौपाल हरबर्टपुर द्वारा साहित्यिक चौधरी पुरस्कार।

प्रकाशित पुस्तकों के नामनदीम-नदीम.

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