ऋषिकेश -मोदी सरकार जब से सत्ता में आई है तब से प्रधानमंत्री ने 2 अक्टूबर को स्वच्छता अभियान और शौचालय की बात करते और कहते आए हैं।
लेकिन वही अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान एम्स में चारों तरफ गंदगी का अंबार फैला हुआ है। वहीं एम्स में हर रोज हजारों की संख्या में मरीज आते हैं। और उन मरीजों के साथ उनके तीमारदार आते हैं।
वहीं देखा जाए तो एक मरीज के साथ लगभग पांच से छः लोग होते हैं और वही मरीज के पर्चे बनवाने से लेकर उसके टेस्ट और दवाई की लाइनों में लगते हैं।
सबसे पहले पर्चा बनवाने के लिए सुबह पांच बजे टोकन लेने के लिए लाइन में खड़े हो जाता है। टोकन लेने के बाद 9:00 बजे रजिस्ट्रेशन करने के बाद ओपीडी में डॉक्टर को दिखाने के लिए जाते है।
अब शुरू होती है यहां से कहानी जैसे की एम्स छ: मंजिला ओपीडी है और हर ओपीडी में शौचालय मौजूद हैं। लेकिन जो ट्रॉमा सेंटर है और वह भर्ती मरीजों के लिए जो शौचालय बने हैं उन शौचालय में ज्यादातर अंग्रेजी कमोड लगे हैं।
और इन कमोड को इस्तेमाल करने के लिए इस पर बैठने के लिए ऊपर एक सीट होती है जिस पर बैठकर लोग फ्रेश होते हैं। लेकिन एम्स के ट्रॉमा सेंटर के वार्ड में कमोड तो है मगर इनके ऊपर की सीट निकाल दी गई है अब मरीज़ इन पर बैठकर कैसे फ्रेश होगा।
वही एक वार्ड में तीन से चार टॉयलेट हैं और इन टॉयलेटों का इस्तेमाल मरीज़ के साथ उसके तीमारदार भी करते हैं। कम टॉयलेट होने की वजह से वहां पर लाइन लगी रहती है अगर आप ट्रॉमा सेंटर से बाहर निकलेंगे तो नीचे की तरफ भी तीन से चार टॉयलेट बने हैं।
जिसमें से एक टॉयलेट पर ताला लगा है और वहां भी इसी प्रकार से लोगों की लाइन लगी रहती है प्रदेश के इतने बड़े एम्स अस्पताल में जहां परदेस केेेे ही मरीज नहीं उत्तरप्रदेश केेेे मरीज़ भी इलाज़ केेेे लिए एम्स अस्पताल मेंं आते हैं। ऐसेेे में एम्स अस्पताल मैंं शौचालय और अधिक बने