“त्रिकोणासन”
देहरादून – त्रिकोणासन शब्द का अर्थ त्रि अर्थात तीन कोणों वाला आसन है। चूंकि आसन के अभ्यास के समय धड़, बाहुओं एवं पैरों से बनी आकृति त्रिभुज के सदृश्य दिखाई देती है, इसीलिए इस अभ्यास को त्रिकोणासन कहते हैं।
इस आसन को करने से होते है ये लाभ:
पैर के तलवों से सम्बन्धित विसंगतियों से बचाता है। पिण्डली, जांघों और कटि भाग की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है। मेरुदण्ड को लचीला बनाता है तथा फेफड़ों की कार्य क्षमता को बढ़ाता है।यह आसन लम्बर स्पोंडिलोसिस के प्रबंधन में सहायक है।
“भद्रासन”
भद्र शब्द का अर्थ दृढ़, सज्जन या सौभाग्यशाली होता है। शारीरिक स्थिति: बैठी हुई स्थिति (विश्रामासन) दोनों पैरों को सामने की ओर खींचते हुए सीधा बैठे। दोनों हाथों को कमर के पीछे जमीन पर रखें और शरीर को ढीला छोड़ें। यह विश्रामासन की स्थिति है।
इस आसन को करने से होते है ये लाभ :भद्रासन का अभ्यास शरीर को दृढ़ रखता है एवं मस्तिष्क को स्थिरता प्रदान करता है। घुटनों और नितंब के जोड़ों को स्वस्थ रखता है। उदर के अंगों को क्रियाशील करता है और उदर में होने वाले किसी भी तरह के खिंचाव को सामान्य करता है। महिलाओं को मासिक धर्म के समय अक्सर होने वाले पेट दर्द से मुक्ति प्रदान करता है।
“वज्रासन/वीरासन”
यह आसन ध्यान के अभ्यास के लिए किए जाने वाले आसानों में एक है। जब आप ध्यान मुद्रा में इस आसन का अभ्यास करें, तब अंतिम अवस्था में आँखें बंद कर लें। स्थितिः दंडासन
इस आसन को करने से होते है ये लाभ जांघ और पिंडी की मांसपेशियां मजबूत होती हैं।यह आसन पाचन शक्ति बढ़ाने में सहायक होता है।यह शरीर को सुदृढ़ता प्रदान करता है और मेरुदंड को स्वस्थ रखने में सहायता प्रदान करता है।