पंचायत चुनाव की सरगर्मियाँ समाप्त कल पड़ेंगे वोट, लेकिन राज्य के साढ़े सात सौ से अधिक उम्मीदवारों की किस्मत इस बार मतपेटी नहीं, बल्कि कोर्ट के फ़ैसले पर निर्भर है।
इन प्रत्याशियों के नाम दो अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों की मतदाता सूची में दर्ज हैं, जिससे उनकी उम्मीदवारी सवालों के घेरे में आ गई है।
उत्तराखंड में पंचायत चुनावों के लिए 24 और 28 जुलाई को मतदान है। लेकिन, इससे पहले करीब 750 से ज़्यादा उम्मीदवार ऐसे सामने आए हैं,
जिनके नाम दो अलग-अलग निर्वाचन क्षेत्रों की मतदाता सूचियों में दर्ज हैं। नियमानुसार, कोई भी व्यक्ति एक समय में केवल एक ही निर्वाचन क्षेत्र में मतदाता हो सकता है।
हाईकोर्ट भी राज्य निर्वाचन आयोग के उस आदेश पर पहले ही स्टे लगा चुका है, जिसके तहत दो-दो मतदाता सूची में नाम वालों को भी चुनाव लड़ने के लिए वैलिड करार दिया गया।
इसके बावजूद ऐसे उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। पूर्व में पाँच सौ ऐसे उम्मीदवारों की सूची लेकर हाईकोर्ट में रिट दायर करने वाले शक्ति सिंह बर्तवाल का कहना है कि यह सीधे-सीधे कोर्ट की अवमानना है।
वह हाईकोर्ट और निर्वाचन आयोग को अवगत करा चुके हैं और सोमवार को कोर्ट ऑफ कंटेम्प्ट दाख़िल करने जा रहे हैं।
दोहरी मतदाता सूची वाले कुछ प्रमुख नाम -टिहरी से पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष सोना सजवान -नैनीताल से पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष बेला तोलिया ।
-चमोली से से पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष रजनी भंडारी -टिहरी के घनसाली से पूर्व ब्लॉक प्रमुख नीलम बिष्ट -चंबा से बीजेपी समर्थित जिला पंचायत प्रत्यक्षीकरण इशिता सजवान ।
-पौड़ी के द्वारिखाल ब्लॉक से पूर्व ब्लॉक महेंद्र सिंह राणा उत्तरकाशी।
-पुरोला से पूर्व ब्लॉक प्रमुख सत्येंद्र सिंह राणा, शक्ति सिंह बर्तवाल याचिकाकर्ता यानि अब फ़ैसला चुनाव आयोग नहीं, हाईकोर्ट के जजमेंट से तय होगा!
अगर कोर्ट ने दोहरी मतदाता सूची वाले नामांकन को अवैध ठहरा दिया तो न सिर्फ़ इन प्रत्याशियों की उम्मीदवारी रद्द होगी,