उत्तराखंड में 2025 की चार धाम यात्रा (यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ, और बद्रीनाथ) एक महत्वपूर्ण तीर्थयात्रा है, जो हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है।
इस यात्रा में हेलीकॉप्टर सेवाओं का उपयोग तीर्थयात्रियों के लिए सुविधाजनक और तेज़ विकल्प प्रदान करता है, विशेष रूप से उच्च हिमालयी क्षेत्रों में।
हालांकि, 2025 में चार धाम यात्रा शुरू होने के बाद हेलीकॉप्टर हादसों की संख्या में वृद्धि ने सुरक्षा चिंताओं को बढ़ा दिया है। इस रिपोर्ट में हादसों की संख्या, मृतकों का आंकड़ा, और सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का विस्तृत विवरण दिया गया है।
हेलीकॉप्टर हादसों की संख्या और मृतकों का आंकड़ा 2025 में चार धाम यात्रा शुरू होने के बाद (10 मई 2025 से), विभिन्न स्रोतों के आधार पर निम्नलिखित हेलीकॉप्टर हादसे दर्ज किए गए हैं।
कुल हादसे: 30 दिनों में कम से कम 4 हेलीकॉप्टर हादसे हुए।कुछ स्रोतों के अनुसार, कुल 5 हादसे होने की बात सामने आई है।
मृतकों की संख्या:उत्तरकाशी हादसा (8 मई 2025): गंगनानी के पास एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में 6 लोगों की मौत हुई और 1 व्यक्ति घायल हुआ।
रुद्रप्रयाग हादसा (15 जून 2025): केदारघाटी में गौरीकुंड और त्रिजुगीनारायण के बीच एक हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हुआ, जिसमें 7 लोगों की मौत हुई, जिसमें एक 10 वर्षीय बच्ची और एक 2 वर्षीय बच्चा शामिल था।
कुल मिलाकर, इन हादसों में 13 से 15 लोगों की मौत हुई, जैसा कि विभिन्न स्रोतों में उल्लेखित है।इसके अतिरिक्त, 2023 में केदारनाथ में एक हादसे में एक यूकाडा (उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण) अधिकारी की मौत हुई थी,
जब वह हेलीकॉप्टर के टेल रोटर से टकरा गया था।अन्य घटनाएँ:7 जून 2025: केदारनाथ जा रहे एक हेलीकॉप्टर को तकनीकी खराबी के कारण सड़क पर आपातकालीन लैंडिंग करनी पड़ी।
इस घटना में पायलट को चोटें आईं, लेकिन सभी 5 श्रद्धालु सुरक्षित रहे।बद्रीनाथ के पास अनियंत्रित हेलीकॉप्टर: एक हेलीकॉप्टर उड़ान के दौरान अनियंत्रित हुआ, लेकिन इसमें कोई हताहत नहीं हुआ।
कुल प्रभाव:चार धाम यात्रा के दौरान 40 दिनों में (10 मई से 19 जून 2025 तक) 24.5 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने दर्शन किए, जिसमें केदारनाथ में 8 लाख से अधिक श्रद्धालु शामिल थे।
हेलीकॉप्टर हादसों के अलावा, हादसों के कारण हेलीकॉप्टर हादसों के पीछे कई संभावित कारणों की पहचान की गई है:तकनीकी ।
खराबी: अधिकांश हेलीकॉप्टर सिंगल-इंजन वाले हैं, जो उच्च हिमालयी क्षेत्रों में मौसम और हवा के दबाव की चुनौतियों का सामना करने में कम सक्षम हो सकते हैं।
मौसम की स्थिति: खराब मौसम, जैसे कोहरा और तेज हवाएँ, हादसों का एक प्रमुख कारण रहा। उदाहरण के लिए, 15 जून 2025 का रुद्रप्रयाग हादसा खराब मौसम के कारण हेलीकॉप्टर के रास्ता भटकने से हुआ।
संचालन में लापरवाही: डीजीसीए की जांच में पाया गया कि हेलीपैड पर बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन जैसी भीड़भाड़ की स्थिति है, जो संचालन में बाधा उत्पन्न करती है।
नियमों का उल्लंघन: हेली सेवा संचालकों द्वारा नियमों की अनदेखी की शिकायतें सामने आई हैं, जिससे सुरक्षा मानकों का पालन नहीं हो रहा।
सरकारी कार्रवाई उत्तराखंड सरकार और संबंधित प्राधिकरणों ने हेलीकॉप्टर हादसों को गंभीरता से लेते हुए निम्नलिखित कदम उठाए हैं:
हेलीकॉप्टर सेवाओं पर तत्काल रोक:15 जून 2025 को रुद्रप्रयाग हादसे के बाद, उत्तराखंड सरकार ने चार धाम यात्रा में हेलीकॉप्टर सेवाओं पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी।
यह रोक उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (UCADA) और नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) के संयुक्त निर्णय के तहत लागू की गई।
यह रोक अगले आदेश तक प्रभावी रहेगी, ताकि सुरक्षा मानकों की समीक्षा की जा सके।
उच्च स्तरीय जांच समिति का गठन:
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक उच्च स्तरीय समिति गठित की है, जो हाल के हेलीकॉप्टर हादसों (15 जून 2025 सहित) और पूर्व में हुए हादसों की गहन जांच करेगी।
समिति का उद्देश्य हादसों के कारणों (तकनीकी, मौसम, या मानवीय त्रुटि) की गहराई से जांच करना और दोषी व्यक्तियों या संस्थाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की सिफारिश करना है।
सुरक्षा नियमों का ऑडिट:सरकार ने हेलीकॉप्टर संचालन के लिए सुरक्षा नियमों का ऑडिट करने का आदेश दिया है।डीजीसीए ने हेलीपैड और उड़ान संचालन में सुधार के लिए सुझाव दिए,
जिसमें हेलीकॉप्टर उड़ानों में 35% की कटौती का आदेश शामिल है ताकि भीड़भाड़ कम हो।विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) की जांच:
8 मई 2025 के उत्तरकाशी हादसे की जांच के लिए विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (AAIB) को नियुक्त किया गया।
डीजीसीए और AAIB ने अन्य हादसों की भी जांच शुरू की है, लेकिन अभी तक इन जांचों की अंतिम रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की गई है।पिछले हादसों पर कार्रवाई:2023 में केदारनाथ हादसे (जिसमें एक यूकाडा अधिकारी की मौत हुई) के बाद,
डीजीसीए ने केस्ट्रेल एविएशन कंपनी की हेली सेवाओं पर रोक लगा दी थी।इस घटना के बाद केवल 8 ऑपरेटरों को उड़ान की अनुमति दी गई थी, जबकि 9वें ऑपरेटर (केस्ट्रेल एविएशन) को अनुमति नहीं मिली।
मुख्यमंत्री के निर्देश:
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हेली सेवाओं में सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का निर्देश दिया है, क्योंकि ये सेवाएँ तीर्थाटन, आपदा प्रबंधन, और आपातकालीन सेवाओं के लिए महत्वपूर्ण हैं।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर रुद्रप्रयाग हादसे पर दुख व्यक्त किया और बचाव कार्यों के लिए एसडीआरएफ, स्थानीय प्रशासन, और अन्य दलों को सक्रिय करने का आदेश दिया।
अन्य सुरक्षा उपाय:चार धाम यात्रा की सुरक्षा बढ़ाने के लिए आईआरबी, ATS, और पैरामिलिट्री फोर्स की तैनाती की गई है।यात्रा मार्ग पर स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए कदम उठाए गए हैं,
सिंगल-इंजन हेलीकॉप्टर: उच्च हिमालयी क्षेत्रों में सिंगल-इंजन हेलीकॉप्टरों का उपयोग जोखिम भरा है।हेलीपैड की स्थिति: डीजीसीए की रिपोर्ट के अनुसार, हेलीपैड पर भीड़भाड़ और अव्यवस्था एक बड़ी समस्या है।
जांच में पारदर्शिता की कमी:
कई हादसों की जांच रिपोर्ट अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है, जिससे विश्वास की कमी उत्पन्न हो रही है।निजी ऑपरेटरों की जवाबदेही: कुछ X पोस्ट में दावा किया गया है कि निजी हेलीकॉप्टर कंपनियों पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई है।
सुझाव:डबल-इंजन हेलीकॉप्टरों का उपयोग: उच्च हिमालयी क्षेत्रों में अधिक सुरक्षित डबल-इंजन हेलीकॉप्टरों को प्राथमिकता दी जाए।
हेलीपैड का उन्नयन: हेलीपैड पर सुविधाओं और प्रबंधन को बेहतर करने की आवश्यकता है।पारदर्शी जांच: जांच रिपोर्ट को समयबद्ध तरीके से सार्वजनिक किया जाए ताकि तीर्थयात्रियों का भरोसा बना रहे।
कठोर नियम: हेली सेवा ऑपरेटरों के लिए सख्त सुरक्षा मानकों और नियमित ऑडिट को अनिवार्य किया जाए।