Demand :- हिमालयी राज्यों के लिए प्रकृति-सम्मत व जनभागीदारी युक्त विकास समय की मांग- त्रिवेंद्र

देहरादून 28 सितम्बर 2025।

दून विश्वविद्यालय में इंटीग्रेटेड माउंटेन इनिशिएटिव (आईएमआई) द्वारा आयोजित 12वें सस्टेनेबल माउंटेन डेवलपमेंट समिट के दूसरे दिन हिमालयी राज्यों के जनप्रतिनिधियों,

वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों ने पर्वतीय विकास की चुनौतियों एवं समाधान पर विचार-विमर्श किया।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित सांसद हरिद्वार एवं पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि हिमालय का विकास केवल सड़कों और इमारतों से नहीं आंका जा सकता।

वास्तविक विकास तब होगा जब प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण, स्थानीय आजीविका का सशक्तिकरण और समुदाय-आधारित भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।

उन्होंने जोर दिया कि हिमालयी राज्यों के लिए अलग से प्रकृति-सम्मत नीतियाँ तैयार करना समय की मांग है और इस दिशा में गति और तीव्रता दोनों आवश्यक हैं।

सांसद त्रिवेंद्र ने कहा कि हिमालय केवल भौगोलिक इकाई नहीं है, बल्कि यहाँ की नदियाँ, जंगल, जैवविविधता और संस्कृति पूरे देश की जीवनरेखा हैं।

इसका संरक्षण भावी पीढ़ियों के लिए हमारी जिम्मेदारी है। उन्होंने इस सम्मेलन को एक ऐसा मंच बताया जो नीति-निर्माताओं, वैज्ञानिकों और आमजन को जोड़ने का अवसर देता है।

उन्होंने सुझाव दिया कि स्थानीय परंपरागत ज्ञान को विज्ञान के साथ जोड़कर विकास की रूपरेखा तैयार की जाए।

विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी भूषण ने कहा कि हिमालय के लिए नीतियों में स्थानीय समुदायों की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है।

वहीं पूर्व मुख्यमंत्री अरुणाचल प्रदेश  नबाम टुकी ने विज्ञान सम्मत निर्माण पर बल दिया।

विधायक विकासनगर  मुन्‍ना सिंह चौहान ने लोक विज्ञान आधारित बसावट के मॉडल अपनाने की बात कही।

विधायक टिहरी किशोर उपाध्याय ने नीति-निर्माण में जनता की भागीदारी को अहम बताया।

और हिमाचल, नागालैंड व उत्तराखंड के अन्य जनप्रतिनिधियों ने भी अपने विचार रखे।

इस अवसर पर डॉ. दुर्गेश पंत (महानिदेशक, यूकॉस्ट) और डॉ. रवि चोपड़ा (पर्यावरणविद्) ने जलवायु परिवर्तन और अनुकूलन रणनीतियों पर अपने शोध प्रस्तुत किए।

 अनूप नौटियाल ने हिमालयी राज्यों के लिए आठ सूत्रीय एजेंडा साझा किया। सम्मेलन में स्थानीय उत्पादों की प्रदर्शनी भी आकर्षण का केंद्र रही।

दो दिवसीय इस सम्मेलन में लगभग 250 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया जिनमें वैज्ञानिक, नीति-निर्माता, सामाजिक कार्यकर्ता,विद्यार्थी और किसान शामिल रहे।

सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विश्वास जताया कि सम्मेलन से मिले सुझाव हिमालयी राज्यों की साझा नीति-निर्माण प्रक्रिया को नया दृष्टिकोण देंगे।

और “विकसित भारत 2047” की दिशा में हिमालय को नई ऊर्जा प्रदान करेंगे।

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