देहरादून – भ्रामरी, भमर से बना है जिसका अर्थ है काली मधुमक्खी। इस प्राणायाम के अभ्यास के दौरान, उत्पन्न ध्वनि काली मधुमक्खी की भिनभिनाहटजैसी होती है,
इसलिए इसे यह नाम दिया गया है।
इस आसन को करने की स्थिति कोई भी ध्यान मुद्रा में बैठे जाये।
आंखें बंद करके किसी भी ध्यान मुद्रा में बैठ जाएं। नाक से गहरी सांस लें। काली मधुमक्खी की तरह गहरी, स्थिर गुंजन ध्वनि निकालते हुए नियंत्रित तरीके से धीरे-धीरे सांस छोड़ें।
यह भ्रामरी का एक चक्र है। इस प्रकार से 4और राउंड के लिए दोहराएं।यह भ्रामरी प्राणायाम का सरल संस्करण है। दो प्रकार से यह असान करते है पहले आंखें बंद करके किसी भी ध्यान मुद्रा में बैठ जाएं।
नाक से गहरी सांस लें। आंखों को तर्जनी से बंद करें, मध्यमा उंगली को नाक के किनारे रखें, इसे बंद न करें, मुंह को अनामिका और छोटी उंगलियों से, कानों को संबंधित अंगूठे से, जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।
इसे सानमुखी मुद्रा भी कहा जाता है। काली मधुमक्खी की तरह गहरी, स्थिर गुंजन ध्वनि निकालते हुए नियंत्रित तरीके से धीरे-धीरे सांस छोड़ें। यह भ्रामरी का एक चक्र है। इसे 4 और राउंड के लिए दोहराएं।
इस आसन को करने से फ़ायदे
भ्रामरी का अभ्यास तनाव से राहत देता है और चिंता, क्रोध और अतिसक्रियता को कम करने में मदद करता है।
गुनगुनाहट की ध्वनि का प्रतिध्वनि प्रभाव तंत्रिका तंत्र और दिमाग पर सुखदायक प्रभाव पैदा करता है।
यह एक बेहतरीन ट्रैंक्विलाइज़र है, जो तनाव संबंधी विकारों के प्रबंधन में अच्छा पाया जाता है।
यह एकाग्रता और ध्यान के लिए एक उपयोगी प्रारंभिक प्राणायाम है।
इस आसन को करने से पहले यह चेतावनी देखें
कृपया नाक और कान के संक्रमण के मामले में इस अभ्यास से बचें।