देहरादून – पूर्व मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल, जो उत्तराखंड सरकार में वित्त और संसदीय कार्य मंत्री रह चुके हैं, के विवादित बयानों का इतिहास समय-समय पर चर्चा में रहा है। हालांकि, उपलब्ध जानकारी के आधार पर उनके सबसे उल्लेखनीय और हाल के विवादित बयानों का विवरण निम्नलिखित है।
यह सूची उनके पूरे राजनीतिक करियर को समाहित नहीं कर सकती, क्योंकि सभी घटनाओं का व्यापक दस्तावेजीकरण सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है, लेकिन प्रमुख घटनाओं पर प्रकाश डाला गया है:
फरवरी 2025 – विधानसभा बजट सत्र में विवादित टिप्पणी 21 फरवरी, 2025 को उत्तराखंड विधानसभा के बजट सत्र के दौरान, प्रेमचंद अग्रवाल ने कांग्रेस विधायक मदन बिष्ट के साथ बहस में एक विवादित बयान दिया। उन्होंने कहा, “क्या यह राज्य सिर्फ पहाड़ियों के लिए बनाया गया है?”
इस टिप्पणी को पहाड़ी समुदाय के खिलाफ अपमानजनक माना गया, जिसके बाद पूरे राज्य में व्यापक विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। इस बयान ने “पहाड़ बनाम मैदान” के संवेदनशील मुद्दे को फिर से उजागर किया।
विपक्ष और विभिन्न संगठनों ने उनके इस्तीफे की मांग की। 22 फरवरी को उन्होंने विधानसभा में खेद व्यक्त किया और 24 फरवरी को ऋषिकेश के साई घाट पर मां गंगा से माफी मांगी। फिर भी, दबाव बढ़ने पर 16 मार्च, 2025 को उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को अपना इस्तीफा सौंप दिया।
अन्य विवादित बयानों के बारे में प्रेमचंद अग्रवाल का नाम पहले भी विवादों से जुड़ा रहा है, खासकर क्षेत्रीय संवेदनशीलता और आंदोलनकारी भावनाओं से संबंधित मुद्दों पर। हालांकि, फरवरी 2025 का विवाद उनके करियर का सबसे चर्चित और प्रभावशाली मामला माना जा रहा है।
उनके पिछले बयानों का सटीक समय और विवरण व्यापक रूप से प्रलेखित नहीं है, लेकिन स्थानीय मीडिया और राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, वे अक्सर अपनी तीखी टिप्पणियों के कारण सुर्खियों में रहे हैं।
उदाहरण के लिए, राज्य आंदोलन के संदर्भ में उनकी कुछ टिप्पणियों को आंदोलनकारियों ने आपत्तिजनक माना था, पर इनकी तारीखें स्पष्ट रूप से उल्लिखित नहीं हैं।
यदि आपको उनके किसी विशिष्ट पुराने बयान के बारे में और जानकारी चाहिए, तो कृपया उस संदर्भ को बताएं, ताकि मैं उस पर गहराई से खोज कर सकूं। अभी तक, फरवरी 2025 का बयान ही उनकी सबसे हालिया और सबसे बड़ी विवादित घटना के रूप में सामने आता है।
प्रेमचंद अग्रवाल, जो उत्तराखंड के एक प्रमुख भाजपा नेता और पूर्व मंत्री हैं, अपने राजनीतिक करियर में कई विवादों से जुड़े रहे हैं। उनके सबसे चर्चित विवादित बयान फरवरी 2025 के हैं, लेकिन इसके अलावा भी उनकी कुछ घटनाएं और बयान सुर्खियों में रहे हैं।
मई 2023 – सड़क पर मारपीट का मामला प्रेमचंद अग्रवाल का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें वे और उनका सुरक्षाकर्मी एक व्यक्ति के साथ सड़क पर मारपीट करते दिखे। यह घटना ऋषिकेश में हुई, जहां वे अपनी गाड़ी से उतरकर एक व्यक्ति से उलझ गए।
अग्रवाल ने सफाई दी कि युवक ने उन पर हमला किया और अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया, जिसके जवाब में यह घटना हुई।
इस घटना ने उनकी छवि को नुकसान पहुंचाया और विपक्ष ने इसे लेकर सियासत की। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी इस मामले में उनसे स्पष्टीकरण मांगा था।
अंकिता भंडारी हत्याकांड में कथित संलिप्तता का आरोप (2022): अंकिता भंडारी हत्याकांड, जिसमें एक रिसॉर्ट कर्मचारी की हत्या हुई थी, उसमें प्रेमचंद अग्रवाल पर विपक्ष ने आरोप लगाया कि वे एक “वीआईपी” को बचाने की कोशिश कर रहे थे। यह मामला उत्तराखंड में काफी चर्चित रहा।
उन्होंने इन आरोपों को निराधार बताया और कहा कि यह उनकी छवि खराब करने की साजिश है। हालांकि कोई ठोस सबूत नहीं मिला, लेकिन इसने उनके खिलाफ जनता और विपक्ष का गुस्सा भड़काया।
क्षेत्रवाद और आंदोलनकारियों पर टिप्पणी (पिछले कार्यकाल)
अग्रवाल पहले भी उत्तराखंड राज्य आंदोलन से जुड़े मुद्दों पर टिप्पणियों के कारण विवादों में रहे हैं। उनकी कुछ टिप्पणियों को आंदोलनकारियों और पहाड़ी समुदाय ने अपमानजनक माना। हालांकि, इन घटनाओं की सटीक तारीखें व्यापक रूप से प्रलेखित नहीं हैं।
उन पर आरोप लगे कि उन्होंने अपने बेटे को अपने मंत्रालय के विभाग में नौकरी दिलाई और बेनामी संपत्ति बनाई। साथ ही, उनके मंत्रालय के विभागों में घोटालों की बात भी उठी।
अग्रवाल ने इन आरोपों को राजनीतिक साजिश करार दिया और खारिज किया। ये आरोप उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाते रहे, खासकर विपक्षी दलों द्वारा।
प्रेमचंद अग्रवाल का सबसे बड़ा विवाद फरवरी 2025 का बयान रहा, जिसमें उन्होंने विधानसभा में पूछा, “क्या यह राज्य सिर्फ पहाड़ियों के लिए बनाया गया है?” इसके अलावा, मारपीट, भ्रष्टाचार के आरोप और संवेदनशील मुद्दों पर उनकी टिप्पणियां भी उन्हें बार-बार विवादों में लाती रही हैं।
इन घटनाओं ने उनकी राजनीतिक छवि को प्रभावित किया और उनके इस्तीफे (16 मार्च, 2025) तक जनता व विपक्ष का दबाव बढ़ता रहा।