देहरादून – धामी सरकार ने उत्तराखण्ड के कई गांवों का अभी-अभी नाम बदले थे। नाम बदलने का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है।
देहरादून में मियावाला का नाम बदलने पर ग्रामीणों ने इस के विरोध में उतर आए हैं। यहां विरोध मुस्लिम नहीं,बल्कि हिंदू समाज के लोग कर रहे हैं।
ग्रामीणों ने मियावाला को लेकर डीएम को ज्ञापन दिया और मियावाला का नाम न बदलने का अनुरोध किया। साथ ही ग्रामीणों ने कहा कि सरकार को अगर राम जी नाम रखना है तो किसी विद्यालय या अस्पताल या किसी पार्क का नाम राम जी रख लेेेेेेे हमें कोई आपत्ति नहीं है।
इसके बाद स्थानीय लोगों ने महापंचायत कर सरकार के खिलाफ आंदोलन की रणनीति बनाई। साथ ही विरोध में बाजार भी बंद रखा। ग्रामीणों का कहना है कि मियावाला नाम बरसों पुराना है,जिसे बदलना पूरी तरह से गलत है।
दरअसल,धामी सरकार ने प्रदेश में 1 अप्रैल को चार जिलों के 17 जगहों के नाम बदले थे। जिसमें देहरादून के मियावाला गांव का नाम बदलकर राम जी वाला किया गया है।
जिसका ग्रामीणों विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है मियावाला गांव 1676 से बसा हुआ है,जिसका इतिहास बहुत पुराना है। मियावाला कोई न मुस्लिम नाम नहीं है, जिस वजह से सरकार ने गांव का नाम बदल दिया।
मियावाला के सोम प्रकाश शर्मा बताते हैं कि जिन अधिकारियों के द्वारा मियावाला का नाम मुस्लिम समुदाय से जोड़ा गया। उन्होंने यहां के पुराने लोगों से बात किए बगैर ही नाम बदलने का प्रस्ताव भेज दिया।
अगर उन्होंने गांव के पुराने लोगों से बात की होती तो उन्हें मियावाला का अस्तित्व पता चलता कि मिया मुस्लिम नही, बल्कि हिन्दू समाज की ही एक जाति है।
दरअसल मिया राजपूतों की ही बिरादरी है, जिस बिरादरी के लोग मियावाला में रहते है। जानकारों की माने तो 1667 में जब श्री गुरु राम राय जी देहरादून आए थे।
उससे पहले से ही मियावाला गांव बसा हुआ था,जो गढ़वाल की रियासत का हिस्सा था। जिसे गढ़वाल के राजा प्रदीप शाह का राज था और 1717 से 1772 के बीच संस्थापक श्री गुरु राम राय को भेंट में दे दिए था।जिससे पता चलता है कि मियावाला हाल-फिलाल में नही बल्कि इसका इतिहास सैकड़ों साल पुराना है।