चकराता – जौनसार का रीति रिवाज में माघ माह के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम के दूसरे दिन हेरूल मनाया जाता है जिसमें सुबह सभी गांव के आदमी सब से पहले गांव के शियाने के घर पर एकसाथ एकत्रित होते है।
वहां पहुंच ने पर इन सभी लोगों का आदर सत्कार किया जाता है जिसमें पहले अदरक वाली काली चाय पिलाई हैं और साथ में बकरे का मीट परोसा जाता है।
इसके बाद घर की बनी कच्ची दारू व व्हिस्की पीने को दी जाती है यहां पर खानें के बाद गांव के सभी घर में पुरुष मंडली जाती है बारी-बारी से सभी घरों में आदर सत्कार होता है और गाने गाए जाते हैं।
जब गांव के सभी परिवारों के घर में जाकर खा पी लिया जाता है। इसके बाद हेरूल में महिला मंडली की बारी आती है नियम वहीं होता है पहले शियाने के घर से शुरूवात होती है।
लेकिन महिलाओं के लिए मीट दोबारा बनाया जाता है और उसी क्रम में महिलाएं हर घर में गाना गाते हुए जाती हैं वहां पर हारूल डांस करते हुए लोकगीत गाती हैं। जब सभी घरों में महिलाएं जाकर एक दूसरे को त्यौहार की बधाई देती है।
फिर रात में आंगन (आग्डा) में तना और हारूल डांस होता है जिसमें महिला और पुरूष डांस करते हुए लोकगीत गाते हैं। इसके बाद पूरे माघ माह में रिस्तेदारी में एक दूसरे के घर जाते हैं।