झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन, जिन्हें ‘दिशोम गुरु’ के नाम से जाना जाता है उनका 81 वर्ष की आयु में निधन हो गया।
वह पिछले डेढ़ महीने से किडनी और ब्रेन स्ट्रोक से संबंधित समस्याओं के कारण दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में भर्ती थे।
उनके निधन पर देशभर में शोक की लहर है और उन्हें छोटे राज्य आंदोलन के पुरोधा व आदिवासी सशक्तिकरण की प्रेरणा के रूप में याद किया जा रहा है।
शिबू सोरेन का जन्म 11 जनवरी 1944 को तत्कालीन हजारीबाग जिले (अब रामगढ़) के नेमरा गांव में हुआ था। उनके पिता सोबरन मांझी की 1957 में सूदखोरों द्वारा हत्या ने उनके जीवन की दिशा बदल दी।
इस घटना ने उन्हें आदिवासियों और कमजोर वर्गों के हक की लड़ाई के लिए प्रेरित किया। 1972 में विनोद बिहारी महतो और एके राय के साथ मिलकर उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना की,
जिसने अलग झारखंड राज्य के लिए निर्णायक आंदोलन की नींव रखी।
*छोटे राज्य आंदोलन के प्रणेता*
शिबू सोरेन ने झारखंड को अलग राज्य बनाने के लिए लगभग चार दशकों तक संघर्ष किया।
उनके गांधीवादी दृष्टिकोण और अहिंसक आंदोलन ने न केवल झारखंड, बल्कि उत्तराखंड जैसे अन्य छोटे राज्यों के आंदोलनकारियों को भी प्रेरित किया।
उनके नेतृत्व में जेएमएम ने संताल परगना, कोयलांचल और कोल्हान में जन-जन को जोड़ा और हर घर से एक मुट्ठी चावल और चवन्नी-अठन्नी के सहयोग से आंदोलन को गति दी।
2000 में झारखंड राज्य के गठन में उनकी भूमिका को ऐतिहासिक माना जाता है।
*आदिवासियों और कमजोर वर्गों की आवाज*
शिबू सोरेन ने आदिवासियों, दलितों, कुरमी, मुस्लिम और अन्य पिछड़े वर्गों के सशक्तिकरण के लिए अथक प्रयास किए। 1970 में शुरू किए गए।
धनकटनी आंदोलन के जरिए उन्होंने महाजनों और सूदखोरों के खिलाफ आदिवासियों को संगठित किया।
शराबबंदी और महिला सम्मान के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने उन्हें आदिवासी समाज में ‘दिशोम गुरु’ की उपाधि दिलाई।
उनकी अगुवाई में जेएमएम ने न केवल राजनीतिक, बल्कि सामाजिक बदलाव की भी नींव रखी।[(
**राजनीतिक योगदान और झारखंड का विकास**
शिबू सोरेन ने दुमका से आठ बार लोकसभा सांसद और तीन बार राज्यसभा सदस्य के रूप में प्रतिनिधित्व किया। वह तीन बार (2005, 2008-09, 2009-10) झारखंड के मुख्यमंत्री रहे।
और केंद्र में यूपीए सरकार में कोयला मंत्री के रूप में भी कार्य किया। उनके नेतृत्व में झारखंड ने स्थिरता और विकास की नई दिशा देखी।
उनके पुत्र और वर्तमान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उनके विजन को आगे बढ़ाया।
*देशभर से श्रद्धांजलि*
शिबू सोरेन के निधन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, राहुल गांधी, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, अरविंद केजरीवाल सहित कई नेताओं ने शोक व्यक्त किया।
झारखंड में रजरप्पा के मां छिन्नमस्तिका मंदिर सहित कई स्थानों पर उनके लिए प्रार्थनाएं की गईं। जेएमएम कार्यकर्ताओं और आदिवासी समुदाय ने उन्हें भगवान की तरह पूजा और उनके योगदान को अमर बताया।
*विरासत और स्मरण*
38 वर्षों तक जेएमएम के अध्यक्ष रहे शिबू सोरेन ने हाल ही में पार्टी की कमान अपने बेटे हेमंत सोरेन को सौंपी थी।
और स्वयं संस्थापक संरक्षक की भूमिका निभाई। उनकी मृत्यु को झारखंड और देश के लिए अपूरणीय क्षति माना जा रहा है।
वह छोटे राज्यों के निर्माण और आदिवासी सशक्तिकरण के प्रतीक के रूप में हमेशा याद किए जाएंगे।
शिबू सोरेन की अंतिम यात्रा और श्रद्धांजलि सभा के लिए रांची में व्यापक तैयारियां की जा रही हैं।
उनके निधन से झारखंड में एक युग का अंत हो गया, लेकिन उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।