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Dehradun News:-सूर्यभेदी प्राणायाम को करने से होगा यह फ़ायदा

सूर्यभेदी या सूर्यांग प्राणायाम देहरादून – ध्यानोपयोगी आसन में बैठकर दाई नासिका से पूरक करके तत्पश्चात् जालन्धर बन्ध एवं मूलबन्ध के साथ कुम्भक करें यानि सांस अन्दर ले और अन्त में बाईं नासिका से रेचक करें यानि सांस छोड़ें। अन्तः कुम्भक का समय धीरे-धीरे बढ़ाते जाना चाहिए। इस प्राणायाम की आवृत्ति 3, 5 या 7…

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Dehradun News:- रोगोपचार की दृष्टि से उपयोगी अन्य प्राणायाम

सूर्यभेदी या सूर्यांग प्राणायाम Dehradun News:- ध्यानोपयोगी आसन में बैठकर दाईं नासिका से पूरक करके तत्पश्चात् जालन्धर बन्ध एवं मूलबन्ध के साथ कुम्भक करें और अन्त में बाई नासिका से रेचक करें। अन्तःकुम्भक का समय धीरे-धीरे बढ़ाते जाना चाहिए। इस प्राणायाम की आवृत्ति 3, 5 या 7 में बढ़ाकर कुछ दिनों के अभ्यास से 10…

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Dehradun News:-प्राणायाम करने की आठ़वीं प्रक्रिया में प्रणव प्राणायाम

देहरादून – पूर्वनिर्दिष्ट सभी प्राणायाम करने के बाद श्वास-प्रश्वास पर अपने मन को टिकाकर प्राण के साथ उद्‌गीथ ‘ओ३म्’ का ध्यान करें। भगवान् ने ध्रुवों को आकृति ओंकारमयी बनाई है। यह पिण्ड (देह) तथा समस्त ब्रह्माण्ड ओंकारमय है। ‘ओंकार’ कोई व्यक्ति या आकृति विशेष नहीं है, अपितु एक दिव्यशक्ति है, जो इस सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड का…

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Dehradun News:-प्राणायाम की सातवीं प्रक्रिया में है उद्‌गीथ प्राणायाम

देहरादून – 3 से 5 सेकेण्ड में श्वास को एक लय के साथ अन्दर भरना एवं पवित्र ओ३म् शब्द का विधिपूर्वक उच्चारण करते हुए लगभग 15 से 20 सेकेण्ड में श्वास को बाहर छोड़ना। एक बार उच्चारण पूरा होने पर पुनः श्वास को लय के साथ 3 से 5 सेकण्ड में भीतर गहरा भरना एवं…

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Dehradun News:- भ्रामरी प्राणायाम करने से होते है यह फ़ायदे

Dehradun-  प्राणायाम की छठ़ी प्रक्रिया में भ्रामरी प्राणायाम आता है इसमें सांस पूरा अन्दर भरकर मध्यमा अंगुलियों से नासिका के मूल में आँख के पास से दोनों ओर से थोड़ा दबाएँ, मन को आज्ञाचक्र पर केन्द्रित रखें। अंगूठों से दोनों कानों को पूरा बन्द कर लें  अब (भ्रमर) भंवरे की भाँति तरह से गुंजन करते…

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Dehradun News:- प्राणायाम की पांचवीं प्रक्रिया है अनुलोम-विलोम

देहरादून – अनुलोम-विलोम प्राणायाम करने की विधि, दायें हाथ को उठाकर दायें हाथ के अंगुष्ठ के द्वारा दायाँ स्वर (पिंगला नाड़ी) तथा अनामिका एवं मध्यमा अंगुलियों के द्वारा बायाँ स्वर बन्द करना चाहिए। हाथ की हथेली को नासिका के सामने न रखकर थोड़ा पाश्र्वभाग में रखना चाहिए। इड़ा नाड़ी (वाम स्वर) चूँकि सोम, चन्द्रशक्ति या…

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Dehradun News:- कपालभाति करने से खत्म होती है कई बीमारी

द्वितीय प्रक्रिया में कपालभाति प्राणायाम देहरादून – कपाल, अर्थात् मस्तिष्क और भाति का अर्थ होता है- दीप्ति, आभा तेज प्रकाश आदि। जिस प्राणायाम के करने से मस्तिष्क (माथे) पर आभा, आोज एव तेज बढ़ता हो, वह प्राणायाम है- कपालभाति। इस प्राणायाम को विधि भस्त्रिका से थोड़ी अलग है। भस्त्रिका में रेचक एवं पूरक में समानरूप…

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Dehradun News:- प्राणायाम क्रियाओं में पहली क्रिया है भस्त्रिका

पहली प्रक्रिया : भस्त्रिका प्राणायाम देहरादून – किसी ध्यानोपयोगी आसन में सुविधानुसार बैठकर दोनों नासिकाओं से स्वास को पूरा अन्दर डायाफ्राम तक भरना तथा बाहर सहजता के साथ छोड़ना  भस्त्रिका प्राणायाम’ कहलाता है। भस्त्रिका के समय शिवसंकल्प भस्त्रिका प्राणायाम में श्वास को अन्दर भरते हुए मन में विचार (संकल्प) करना चाहिए  कि ब्रह्माण्ड में विद्यमान…

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Dehradun News :- प्राणायाम में उपयोगी है ये चार बन्ध

देहरादून – योगासन एवं प्राणायाम द्वारा हमारे शरीर से जिस शक्ति का बहिर्गमन होता है, उसे हम बन्धों से रोककर अन्तर्मुखी करते हैं। बन्ध का अर्थ ही है बाँधना या रोकना। ये बन्ध प्राणायाम में अत्यन्त सहायक हैं। बिना बन्धों के प्राणायाम अधूरे हैं। इन बन्धों का क्रमशः वर्णन यहाँ किया जा रहा है। सबसे…

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बिना बन्धों के प्राणायाम अधूरा

प्राणायाम में उपयोगी बन्धक देहरादून –योगासन एवं प्राणायाम से हमारे शरीर में जिस शक्ति का बहिर्गमन होता है, उसे हम बन्धों के द्वारा रोककर अन्तर्मुखी करते हैं। बन्ध का अर्थ ही है बाँधना, रोकना। ये बन्ध प्राणायाम में अत्यन्त सहायक हैं। बिना बन्धों के प्राणायाम अधूरे है। इन बन्धों का क्रमशः वर्णन यहाँ किया जा…

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