DehradunNews:-गले, मुँह, नाक, जिह्वा के लिए करें सीत्कारी प्राणायाम

देहरादून –  सीत्कारी प्राणायाम करने के लिए ध्यानोपयोगी आसन में बैठकर जीभ को ऊपर तालु में लगाकर ऊपर -नीचे की दन्त पक्ति को एकदम सटाकर ओष्ठों को खोलकर रखें। अब धीरे-धीरे ‘सी-सी’ की आवाज करते हुए मुँह से सांस लें और फेफड़ों को पूरी तरह भर लें।

जालन्धर बन्ध लगाकर जितनी देर आराम से रुक सकों, रुकें। किस मुँह बन्द कर नाक से धीरे-धीरे रेचक करें। पुनः इसी तरह दुहराये। रोग या आवश्यकतानुसार इस का अभ्यास कर सकते हैं।

विशेष

बिना कुम्भक एवं जालन्धर बन्ध के भी अभ्यास कर सकते हैं।पूरक के समय दाँत एवं जिह्वा अपने स्थान पर स्थिर रहनी चाहिए।

इस आसन को करने के लाभ -गुण-धर्म एवं लाभ शीतली प्राणायाम की तरह हैं।

दन्तरोग, पायरिया आदि के अतिरिक्त गले, मुँह, नाक, जिह्वा के रोग भी दूर होते हैं।

निद्रा कम होती है और शरीर शीतल रहता है।

उच्च रक्तचाप में 10 से 20 तक आवृत्ति करने से लाभ होता है।

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