DehradunNews:-चकराता के टमाटर दून मंडी में बेचने के बजाये सोनीपत की मंडी में बेचना ज्यादा मुनासिब

देहरादून – देहरादून के चकराता ब्लॉक के हाजा, दसाऊ, मताड़,डाडवा  कितरौली गांवों के किसानों ने मेहनत कर अच्छी टमाटर की फसल उगा कर अच्छी कमाई करते हैं,किसानों ने एक साल पूर्व टमाटर की खेती करना शुरू किया। टमाटर की फसल बोने से पहले  किसान मक्का की  खेती के साथ मोटे अनाज की खेती करते थे।

लेकिन उनका कहना है कि इस फसल में नुकसान ज्यादा हो रहा था और मेहनत लगत बहुत अधिक लग रही थी इस वजह से उन्होंने इसे  बोना बंद कर दिया और टमाटर की खेती करना शुरू किया।

टमाटर की खेती जून सेें सितंबर माह तक होती है और किसानों को टमाटर की फसल से अच्छी खासी आमदनी हो जाती है।काश्तकार सप्ताह में दो बार टमाटर की तुड़ाई करते है।

ये भी पढ़ें:   Banned :- जवाडी बायपास में गाडियों की आवाजाही प्रतिबंधित

काश्तकार हर 3 से 4 दिन में टमाटर तोड़कर सोनीपत मंडी में बेचने के लिए भेजते हैं। किसानों का कहना है कि सोनीपत मंडी में आढ़त नहीं लगती है, जबकि उत्तराखंड की सब्जी मंडी में 6% आढ़ती आढत ले लेते हैं।

इसलिए वे अपना टमाटर देहरादून की सब्जी मंडी में बेचने की बजाय बिक्री के लिए सोनीपत की मंडी में बेचना ज्यादा मुनासिब समझते हैं। गांव के 6 से 8 किसान एक साथ यूटिलिटी में टमाटर भेजते है जिससे जिससे उनका गाड़ी का किराया आपस में बंट जाता है।

और टमाटर मंडी के लिए चला जाता है। वहीं एक यूटिलिटी में लगभग 120 क्रेट आ जाती है और इससे किसानों का किराया कम लगता है। वहीं अगर क्रेट कम हो जाती है तो किराया ज्यादा लगता है।

ये भी पढ़ें:   Banned :- जवाडी बायपास में गाडियों की आवाजाही प्रतिबंधित

किसान रितिक चौहान और श्याम चौहान ने बताया कि वे अपना टमाटर सीधा सोनीपत भेजते हैं ताकि उन्हें अच्छा दाम मिल सके। उन्होंने कहा कि सोनीपत मंडी में किसानों को उनकी फसल का सही मूल्य मिलता है, जबकि उत्तराखंड की मंडी में आढ़ती किसानों का शोषण करते हैं।

कितरौली,हाजा, दसाऊ, मताड़,डाडवा गांवों के अन्य किसानों ने कहा कि वे अपनी फसल को सोनीपत में बेचने के लिए मजबूर हैं क्योंकि उत्तराखंड की मंडी में उन्हें न्याय नहीं मिलता है। उन्होंने सरकार से मांग की है कि वे किसानों के हित में काम करें और मंडी में आढ़त को खत्म करें।

ये भी पढ़ें:   Banned :- जवाडी बायपास में गाडियों की आवाजाही प्रतिबंधित

इससे पहले भी किसानों ने कई बार कृषि मंत्री और सरकार से मांग की थी कि वे मंडी में आढ़त को खत्म करें लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। किसानों का कहना है कि अगर सरकार ने उनकी मांग नहीं मानी तो वे आंदोलन करेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *