DehradunNews:-पीड़ित महिला पर आरोपी मुकदमा वापस लेने को बना रहे दवाब – महिला आयोग

देहरादून – राज्य महिला आयोग  के कार्यालय में एक प्राइवेट कोचिंग संस्थान में महिला कर्मचारियों से मारपीट व लज्जा भंग की घटना में पीडित महिलाओं ने शिकायत दर्ज कराई गई, जिसमें महिला आयोग ने प्रकरण में पीडिताओं से वार्ता कर मामले की जानकारी ली गई।

घटना की जानकारी देते हुए पीड़िताओं ने बताया कि  23-मार्च-23 को बॉबी, आशीष, संदीप व उनके अन्य सहयोगियों ने उनके संस्थान के कार्यालय में आकर उनके साथ मारपीट, छेडछाड तथा लज्जा भंग करने का प्रयास किया गया, जिसके सम्बन्ध में उन्होंने थाना रायपुर पर मामला दर्ज कराया गया था।

इस घटना के बाद मामले में बॉबी व उसके साथियों ने सोशल मीडिया के विभिन्न पोर्टलों पर पोस्ट डालकर पीड़िताओं तथा उनके सहयोगियों के विरूद्ध लगातार कमेंट किये गये थे तथा उनको डराते हुए मुकदमे को वापस लेने का दबाव बनाया गया था, जिस कारण सभी पीडिताएं लम्बे समय तक भय में रही।

पीड़िताओं ने हिम्मत करके इस मामले में न्यायालय के समक्ष अपने बयान दर्ज कराये गये। जिसमें पुलिस ने विवेचना पूर्ण करते हुए मुकदमे में बाबी, आशीष तथा संदीप के विरूद्ध चार्जशीट कोर्ट भेजी गयी है।

परंतु इसके उपरान्त भी आरोपियों तथा उनके सहयोगियों ने विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म/पोर्टलों पर हम पीड़िताओं की पहचान व निजी जानकारी सहित आपत्तिजनक पोस्टों व भद्दे कमेंटो के माध्यम से पीड़िताओं को मानसिक रूप से प्रताड़ित करते हुए धमकाया जा रहा है, जो कि हमारी निजता व गरिमा के विपरीत है।

मामले में आयोग की अध्यक्ष कुसुम कण्डवाल ने  प्रकरण में पीड़ित महिलाओ के लिखित व मौखिक बयानो का संज्ञान लेते हुए एसएसपी देहरादून से फोन पर वार्ता की गई तथा कहा गया कि इस प्रकरण में सोशल मीडिया/ पोर्टलों के माध्यम से प्रसारित की गयी।

ऐसी सभी पोस्टों अथवा कमेंटो को जो प्रकरण से सम्बन्धित पीड़ित महिलाओं की पहचान सम्बन्धी या गरिमा के विरूद्ध हों तथा उन्हें धमकाया गया हो उक्त पोस्टों व कमेंटों के माध्यम से उक्त पीड़िताओं को भय अथवा डर में लाकर दबाव बनाने का प्रयास किया जा रहा हो, ऐसे सभी प्रकरणों का तत्काल संज्ञान लेते हुए सम्बन्धित व्यक्तियों के विरूद्ध सख्त वैधानिक कार्यवाही की जाए।

साथ ही उन्होंने कहा कि ऐसे सभी सोशल मीडिया एकाउंट्स/पोर्टलों जिन पर पीड़ित महिलाओं से सम्बन्धित अपराधों के सम्बन्ध में आपत्तिजनक बातें अथवा महिला अपराधों के विचाराधीन मामलों उनकी पहचान व निजता की जानकारी के संबंध में कमेंट किये जा रहे हों, ऐसे सभी एकाउण्टों/ पोर्टलों को तत्काल ब्लाक करवाते हुए उनके संचालको के विरूद्ध भी कार्रवाई की जाये।

वही आयोग अध्यक्ष कुसुम कण्डवाल ने मुख्य सचिव राधा रतूड़ी को भी इस प्रकार के प्रकरणों में पत्र भेजते हुए कहा गया कि आज सोशल मीडिया, न्यूज चैनल या समाचार पत्र हमारे जीवन का अहम हिस्सा बन गया है।

कोई भी व्यक्ति इनके माध्यम से अपनी बात समाज तक पहुँचाने को स्वतंत्र है किन्तु महिला या बच्चों के विरूद्ध हो रहे आपराधिक प्रकरणों में पीडिता के निजी जीवन की जानकारी का उल्लेख (नाम, पहचान या सम्बन्धित अन्य जानकारी सहित) सोशल मीडिया, न्यूज चैनल व समाचार-पत्र इत्यादि के माध्यम से प्रसारित करना प्रतिबन्धित है।

एवं अपराध की श्रेणी में आता है। यह पीडित महिला व बच्चे की निजता का हनन है, जिससे समाज में उसे मानसिक प्रताड़ना झेलने के साथ ही भविष्य में असुरक्षा का सामना भी करना पड़ सकता है। इससे उसकी सामाजिक छवि भी धूमिल होती है।

महिला एवं बच्चों से सम्बन्धित आपराधिक प्रकरणों में सोशल मीडिया, न्यूज चैनल व समाचार-पत्र इत्यादि माध्यम से उक्त प्रतिबन्धित कार्य किये जाने के विरूद्ध वैधानिक कार्यवाही अमल में लाना अत्यन्त आवश्यक है।

आयोग अध्यक्ष ने कहा कि उक्त प्रकरणों में किसी भी व्यक्ति द्वारा पीडित महिला व बच्चे से सम्बन्धित अपराधों की जानकारी एवं उनकी पहचान को गोपनीय रखा जाये तथा पब्लिक डोमेन में प्रसारित न किया जाये, इस हेतु मुख्य सचिव को अपने स्तर से समस्त जनपदवार जिलाधिकारियों एवं पुलिस प्रशासन को निर्देश जारी करने के लिए कहा गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *