“होम्योपैथी का परिचय”
देहरादून – भारत में होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति की सुलभता, क्षमता, औषधियों की सरलता से उपलब्धता होनें के कारण यह प्रख्यात हो चुकी है। आज यह पद्धति राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवाओं का एक हिस्सा है तथा जनजीवन में अस्पताल, चिकित्सालय तथा निजी चिकित्सकों के माध्यम से स्वास्थ्य सेवायें प्रदान कर रहा है।
इस प्रणाली की स्थापना 18वीं शताब्दी में डॉ० क्रिश्चियन फैडरिक सैमुअल हेनिमैन ने की थी। यह “समः समम् शमयति” के सिद्धांत पर आधारित है जिसका शाब्दिक अर्थ है कि जो पदार्थ एक स्वस्थ व्यक्ति में जिन लक्षणों को पैदा करते हैं, वे बीमार व्यक्ति में उन्ही लक्षणों को ठीक कर देते हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा सम्पूर्ण स्वास्थ्य की परिभाषा के अनुसार होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति रोगी को शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक तौर पर स्वस्थ करती है। यह रोगी के सम्पूर्ण लक्षणों के आधार पर औषधि का चयन कर रोग मुक्त करती है तथा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है।
होम्योपैथी न केवल एक वैज्ञानिक चिकित्सा पद्धति है अपितु यह स्वस्थ जीवन शैली को भी परिलक्षित करती है। होम्योपैथिक औषधियां किफायती और दुष्परिणाम रहित हैं। बच्चे, बूढ़े एवं जवान सभी इन औषधियों का सेवन सुलभता से करते हैं तथा इन्हें कहीं भी आसानी से ले जाया जा सकता है।
होम्योपैथी में लगभग 3000 औषधियां है जिनमें से आधी हमारे राज्य में विद्यमान है जैसे अश्वगंधा, सर्पगन्धा, बुरांश, किन्गौड, बेलपत्र, गेंदा, ब्रह्मी, नीम, तुलसी, जटामानसी, जिन्सँग, मोरपंखी, पपीता आदि एवं रोजमर्रा में प्रयोग होनें वाले मसाले जैसें जीरा, हल्दी, धनिया, अदरक, लहसून, दालचीनी इत्यादि है।
“होम्योपैथी कैसे काम करती है” ?
होम्योपैथिक चिकित्सापद्धति से किसी मरीज का इलाज करते समय, केवल बीमारी का नहीं, अपितु संपूर्ण व्यक्ति का इलाज किया जाता है। उसकी शारीरिक बनावट, भूख, प्यास, भोजन की पसंद, मासिक धर्म का इतिहास (महिलाओं के मामले में), नींद, सपने, रोगी की प्रकृति, संवेदनशीलता, भय, मनोदशा इत्यादि को ध्यान में रखते हुए।
सभी लक्षणों के आधार पर होम्योपैथिक औषधि का चयन कर रोगी का उपचार किया जाता है।होम्योपैथिक औषधि खाने में मीठी होती है, जिनका सेवन बच्चे आसानी से करते हैं। यह बीमारी का जड़ से इलाज करती है एवं असाध्य और जटिल रोगों में भी कारगर हैं।
“होम्यायोपैथिक औषधि बच्चों में फायदेमंद”
बच्चे हमारी अमूल्य निधि हैं जो आने वाले कल के लिए एक सर्वश्रेष्ठ आशा की किरण है। उनमें कई बीमारियां विकसित होने का खतरा होता है और होम्योपैथी एक सम्पूर्ण चिकित्सा पद्धति होने के कारण उनके लिए दवा का सबसे सुरक्षित रूप है, जो निम्न रोगों में कारगर है,
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाना।भूख न लगना।बार-बार सर्दी-जुकाम, खांसी व बुखार होना ।कब्ज या दस्त।टॉन्सिलों का बढ़ना।कृमि संक्रमण ।कील-मुहाँसे निकलना।बालों का झड़ना, व सफेद होना।दांत निकलने में कठिनाई।चिड़चिड़ापन।सिर, कान व पेट दर्द।मिट्टी खाना।लम्बाई न बढ़ना।बिस्तर गीला करना।