“आयुर्वेदानुसार ऋतुचर्या ”
देहरादून – भारत में छः ऋतुएं प्रधान – शिशिर, बसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमन्त,
पहली ऋतु शिशिर (माघ-फाल्गुन) 15 जनवरी 15 मार्च इस ऋतु में जठराग्नि तीव्र, कफ दोष संचय होता है।
पथ्य आहार-विहार (क्या करें ?)
विविधि प्रकार के पाक एवं लड्ड, अदरक, लहसून की चटनी, पोषक आहार दूध एवं उष्ण जल का सेवन करें।
तैल मालिश, धूप का सेवन, गर्म पानी का उपयोग, ऊनी एवं गहरे रंग के कपड़े का प्रयोग करें।
अपथ्य आहार-विहार (क्या न करें ?) वर्षा में भीगना, ठण्डी हवा, दिन में सोना ना करें।हल्का, कड़वा, कसैला, रूखा एवं वायुवर्धक आहार, शीतल पेय ना ले।
दूसरी ऋतु है बसंत (चैत्र-वैशाख) जो 15 मार्च 15 मई तक रहती है इस ऋतु में जठराग्नि पंद, सचित कफ दोष का प्रकोप होता है।
पथ्य आहार-विहार (क्या करें ?)
पुराने जौ, गेहूँ, ज्वार, बाजरा, मक्का आदि धान, मूंग, मसूर, अरहर एवं चने की दाल तथा मूली, लौकी, गाजर, बथुआ, चौलाई, परवल, सरसों, मेथी, पालक, धनिया, अदरक आदि । वमन, जलनेति, नस्य एवं कुंजल किया। परिश्रम, व्यायाम, उद्वर्तन, आँखों में अंजन, शरीर पर चंदन, अगर आदि का लेप, शहद के साथ हरड़ का सेवन।
अपथ्य आहार-विहार (क्या न करें ?)
नया अनाज, ठण्डे एवं चिकनाई युक्त भारी, खट्टे एवं मीठे आहार दख्य, दही, उड़द, आलू, प्याज, गन्ना, नया गुड़, भैस का दूध एवं सिंघाड़ा।दिन में सोना, एक साथ लम्बे समय तक बैठना।
