Unique initiative :- टाइप-1 डायबिटीज से प्रभावित लोगों के लिए उत्तराखंड बना उम्मीद का केंद्र, धामी सरकार की एक अनूठी पहल

देहरादून 15 नवम्बर 2025।

उत्तराखंड की धामी सरकार बच्चों, किशोरों और युवाओं के स्वास्थ्य सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए लगातार ऐतिहासिक कदम उठा रही है।

इसी दिशा में विश्व मधुमेह दिवस पर राज्य ने टाइप-1 डायबिटीज (T1D) प्रबंधन के लिए अपनी पहली राज्य स्तरीय तकनीकी एवं संचालन संबंधी गाइडलाइन जारी की।

यह कदम टाइप-1 डायबिटीज से प्रभावित लोगों के लिए व्यवस्थित, वैज्ञानिक और मानवीय स्वास्थ्य प्रणाली स्थापित करने की दिशा में एक मील का पत्थर है।

देहरादून में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM), चिकित्सक विशेषज्ञ और विकास भागीदार शामिल हुए।

अधिकारियों ने बताया कि टाइप-1 डायबिटीज मुख्य रूप से बच्चों और युवाओं में पाई जाती है, और उपचार में थोड़ी सी भी देरी या कमी जीवन को खतरे में डाल सकती है।

राज्य की चुनौतीपूर्ण पर्वतीय भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए एक मानकीकृत, सुचारू और समग्र मॉडल की लंबे समय से आवश्यकता महसूस की जा रही थी,आज वह आवश्यकता पूरी हो गई।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य ने देश के सबसे संवेदनशील और प्रभावी-डायबिटीज देखभाल मॉडल –गुबारा क्लीनिकों स्थापित किया है।

यह मॉडल टाइप-1 डायबिटीज से प्रभावित लोगों को एक ही छत के नीचे हर जरूरी सेवा उपलब्ध कराता है।

गुबारा क्लीनिकों में उपलब्ध मुख्य सेवाएँ—

• नियमित इंसुलिन थेरेपी

• शुगर मॉनिटरिंग

• निर्धारित अंतराल पर मेडिकल चेकअप

• पोषण विशेषज्ञों द्वारा डाइट परामर्श

• मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग

• परिवार परामर्श

• मासिक फॉलो-अप

टाइप-1 डायबिटीज से प्रभावित 200 लोगों को चिन्हित कर नामांकित किया गया है।

 देहरादून ज़िले में 200 लोगों की पहचान की गई है और उन्हें गुबारा क्लीनिकों में नामांकित किया गया है।

सरकार का लक्ष्य 2026-27 तक राज्य में टाइप 1 मधुमेह से प्रभावित 1,120 लोगों तक इस कार्यक्रम की सेवाएँ पहुँचाना है।

देहरादून, हरिद्वार, बागेश्वर और उधमसिंहनगर सहित कई जिलों में गुबारा क्लीनिक सक्रिय हैं और लोगों को इसका सीधा लाभ मिल रहा है।

उपचार, रोकथाम और परामर्श को एकीकृत करने वाला ढांचा जारी की गई राज्य गाइडलाइन ने टाइप-1 डायबिटीज प्रबंधन को एक पेशेवर,

सरल और समान रूप से लागू होने वाली प्रणाली में बदल दिया है। गाइडलाइन की प्रमुख बातें—

T1D के निदान व उपचार के लिए मानकीकृत चिकित्सकीय प्रोटोकॉल

सभी जिला अस्पतालों में गुबारा  क्लीनिक चलाने हेतु संचालन संबंधी दिशा-निर्देश

ASHA, CHO, MO सहित स्वास्थ्य कर्मियों की स्पष्ट भूमिका RBSK एवं सामुदायिक टीमों के माध्यम से मज़बूत स्क्रीनिंग,

नि:शुल्क इंसुलिन व शुगर मॉनिटरिंग उपकरणों की निरंतर उपलब्धता टाइप-1 डायबिटीज से प्रभावित लोगों व परिवारों के लिए संरचित परामर्श मॉड्यूल,

राज्यभर में एक समान मॉनिटरिंग एवं रिपोर्टिंग प्रणाली यह गाइडलाइन आने वाले वर्षों में सभी जिलों में T1D कार्यक्रम के सुचारू विस्तार की आधारशिला बनेगी।

गाइडलाइन जारी होने के बाद—सभी जिलों में ओरिएंटेशन कार्यक्रम शुरू होंगे स्वास्थ्य प्रदाताओं का प्रशिक्षण बढ़ेगा

गुबारा क्लीनिकों का राज्यभर में विस्तार किया जाएगा समुदाय स्तर पर जागरूकता और शुरुआती पहचान पर विशेष फोकस रखा जाएगा।

इस प्रयास से उत्तराखंड आने वाले वर्षों में टाइप-1 डायबिटीज प्रबंधन में एक राष्ट्रीय मॉडल राज्य के रूप में स्थापित होने की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हमारा संकल्प है कि उत्तराखंड का कोई भी बच्चा इलाज के अभाव में पीड़ा नहीं झेले।

गुबारा क्लीनिक’टाइप-1 डायबिटीज से प्रभावित बच्चों के लिए एक संवेदनशील और मानवीय पहल है।

यह कार्यक्रम आने वाले समय में पूरे राज्य में लागू होगा और बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा और भविष्य को सुरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री धामी के नेतृत्व में उत्तराखंड स्वास्थ्य सेवाओं में तेज़ी से प्रगति कर रहा है।

टाइप-1 डायबिटीज जैसे जटिल विषय को लेकर राज्य ने जो समग्र मॉडल अपनाया है, वह पूरे देश के लिए एक उदाहरण बनेगा।

हम सर्वेक्षण, प्रशिक्षण, उपचार और परिवार समर्थन तंत्र को मजबूत करते हुए स्वास्थ्य परिणामों में महत्वपूर्ण सुधार लाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

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