देहरादून 11 जून। भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहर को समर्पित एक अनूठी और प्रेरणादायक यात्रा की कहानी है पुनीत सिंह की, जो पंजाब के सुल्तानपुर लोधी से स्केटिंग करते हुए।
उत्तराखंड के पवित्र तीर्थ स्थल श्री हेमकुंड साहिब तक का सफर तय करने निकले हैं। यह यात्रा न केवल शारीरिक साहस और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है,
बल्कि यह आध्यात्मिकता, प्रकृति के प्रति प्रेम और आत्म-खोज का एक अनुपम उदाहरण भी प्रस्तुत करती है। पुनीत सिंह की यह यात्रा न केवल उनके व्यक्तिगत जुनून को दर्शाती है,
बल्कि यह उन सभी लोगों के लिए एक प्रेरणा है जो अपने सपनों को साकार करने की हिम्मत रखते हैं।
‘यात्रा की शुरुआत: सुल्तानपुर लोधी से देहरादून तक,
पुनीत सिंह, पंजाब के सुल्तानपुर लोधी के निवासी, एक उत्साही स्केटर हैं, जिन्होंने अपनी स्केटिंग के प्रति जुनून को एक असाधारण लक्ष्य के साथ जोड़ा।
सुल्तानपुर लोधी, जो सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी की पवित्र भूमि के रूप में जाना जाता है, वह स्थान है जहां से पुनीत ने अपनी इस अनोखी यात्रा की शुरुआत की।
यह शहर न केवल ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह पुनीत के लिए उस प्रेरणा का स्रोत भी है, जो उन्हें इस कठिन यात्रा पर आगे बढ़ने की शक्ति देता है।
पुनीत ने अपने स्केट्स पहने, आवश्यक सामान के साथ एक बैग तैयार किया और सुल्तानपुर लोधी से श्री हेमकुंड साहिब की ओर कूच किया।
यह सफर लगभग 400 से 500 किलोमीटर से अधिक का है, जिसमें पंजाब के मैदानी इलाकों से लेकर उत्तराखंड की पहाड़ी राहों तक की चुनौतियां शामिल हैं।
स्केटिंग, जो आमतौर पर एक खेल या मनोरंजन का साधन माना जाता है, पुनीत के लिए इस यात्रा में वह एक वाहन और उनके संकल्प का प्रतीक बन गया।
सड़कों पर स्केटिंग करते हुए पुनीत की मुलाकात पंचूरवार्ता से हुई तो पुनीत ने बताया कि सड़कों पर न केवल शारीरिक चुनौतियों का सामना किया,
बल्कि तप देने वाली धूप और मौसम की मार, सड़कों की अनियमितता और थकान जैसे कई अवरोधों को भी पार किया। साथ ही पुनीत ने बातचीत करते हुए बताया कि वह इससे पहले भी कई जगहों पर स्केटिंग करते हुए पहुंचे हैं।
पुनीत के लिए इस लंबी यात्रा का ये प्रमुख पड़ाव है। देहरादून पहुंचने पर पुनीत ने कुछ समय विश्राम किया और
“पंचूरवार्ता” के साथ अपने अनुभव साझा किए।
उन्होंने कहा कि देहरादून, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है, यह मेरे लिए एक नई ऊर्जा का स्रोत बना।
यहां उन्होंने अपनी स्केटिंग यात्रा के अगले चरण की योजना बनाई, जो उन्हें ऋषिकेश और फिर हेमकुंड साहिब तक ले जाने वाली थी।
ऋषिकेश: आध्यात्मिकता और प्रकृति का संगम
देहरादून से स्केटिंग करते हुए पुनीत ने ऋषिकेश की ओर रुख किया, जो गंगा नदी के किनारे बसा एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक केंद्र है। ऋषिकेश, जिसे विश्व की योग राजधानी के रूप में जाना जाता है, पुनीत के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव है।
पुनीत की स्केटिंग यात्रा की कहानी सुनकर कई लोग आश्चर्यचकित हुए और उनके साहस की प्रशंसा की। ऋषिकेश में कुछ दिन बिताने के बाद,
पुनीत ने अपनी यात्रा को हेमकुंड साहिब की ओर बढ़ाने का फैसला किया। लेकिन इस बार चुनौती और भी कठिन थी, क्योंकि हेमकुंड साहिब का रास्ता पहाड़ी और दुर्गम है।
हेमकुंड साहिब: आस्था और साहस का अंतिम पड़ाव
हेमकुंड साहिब, सिख धर्म का एक पवित्र तीर्थ स्थल, जो उत्तराखंड के चमोली जिले में 4,632 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है, पुनीत की इस यात्रा का अंतिम लक्ष्य है।
यह तीर्थ स्थल सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी से संबंधित है और इसे सिखों के मानसरोवर के रूप में भी जाना जाता है। हेमकुंड साहिब की यात्रा अपने आप में एक कठिन तपस्या है, क्योंकि यह दुर्गम हिमालयी क्षेत्र में स्थित है,
जहां पहुंचने के लिए पैदल चढ़ाई और ठंडे मौसम का सामना करना पड़ता है।पुनीत ने इस यात्रा को स्केटिंग के माध्यम से और भी चुनौतीपूर्ण बना दिया।
ऋषिकेश से गोविंदघाट तक का सफर स्केटिंग के लिए अपेक्षाकृत आसान था, लेकिन गोविंदघाट से घांघरिया और फिर हेमकुंड साहिब तक का रास्ता खड़ी चढ़ाई और पथरीली सड़कों से भरा है।
इस मार्ग पर स्केटिंग करना न केवल शारीरिक रूप से कठिन है, बल्कि मानसिक दृढ़ता और धैर्य की भी आवश्यकता है। पुनीत ने इस चुनौती को स्वीकार किया और अपनी यात्रा को धीरे-धीरे आगे बढ़ाया।
थकान और डेरा: पुनीत का अनूठा तरीका
पुनीत की इस यात्रा की एक खास बात यह है कि जब भी वे थकान महसूस करते हैं, वे अपना डेरा डाल लेते हैं। यह डेरा न केवल विश्राम का स्थान है,
बल्कि यह पुनीत के लिए आत्म-चिंतन और प्रकृति के साथ एकाकार होने का अवसर भी प्रदान करता है।
चाहे वह किसी गांव के पास का खेत हो, नदी का किनारा हो, या जंगल का कोई शांत कोना, पुनीत अपने तंबू में रात बिताते हैं।