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DehradunNews:- विशुद्धि चक्र से थायरॉयड ग्रन्थि एवं फेफड़ों के रोग में लाभ

विशुद्धि चक्र (कैरोटिड प्लेक्सस बनाम श्वसन प्रणाली) देहरादून – विशुद्धि चक्र का स्थान कण्ठ है। इस चक्र पर ध्यान करने एवं इसके जागृत होने पर व्यक्ति कवि, महाज्ञानी, निरोग, शोकहीन और दीर्घजीवी हो जाता है। थायरॉयड ग्रन्थि एवं फेफड़ों के रोग भी इस चक्र के जागृत होने पर नहीं होते।  प्रारम्भ में विशुद्धि चक्र का…

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DehradunNews:- हृदय चक्र पर ध्यान करने से कभी हृदयरोग नहीं होता

हृदय चक्र या निम्न मनश्चक्र (निचला मस्तिष्क जाल बनाम कंकाल प्रणाली) । देहरादून – यह हृदय चक्र के पास विद्यमान है, तंत्र ग्रंथों में वाक्पतित्व,कवित्व-शक्ति  का लाभ, जितेन्द्रियता आदि इस पर ध्यान करने के लाभ बताये गये हैं। शिवसारतन्त्र’ में कहा है कि इसी स्थान में उत्पन्न होने वाली अनाहत ध्वनि  (अनहद नाद) ही सदाशिव…

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HaridwarNews:- हरिद्वार में चल रही छत्रपति शिवाजी महाराज की कथा

हरिद्वार – स्वामी गोविन्ददेव गिरि जी महाराज के श्रीमुख से “छत्रपति शिवाजी महाराज कथा’’ के दूसरे दिन का शुभारम्भ पतंजलि विश्वविद्यालय के सभागार में हुआ। योग गुरु रामदेव ने व्यासपीठ को प्रणाम करते हुए  गोविन्ददेव गिरि जी महाराज से कथा प्रारंभ करने का अनुरोध किया। कथा में स्वामी गोविन्द देव गिरि जी महाराज ने कथा…

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DehradunNews:- मणिपूर चक्र के जागृत होने पर मधुमेह, कब्ज़, अपच, गैस आदि ठीक होती है

मणिपूर चक्र (अधिजठर जाल या सौर जाल बनाम पाचन तंत्र) देहरादून – मणिपूर चक्र इसका स्थान नाभिमूल है। यकृत् एवं आँत इत्यादि सम्पूर्ण पाचन तन्त्र एवं अग्न्याशय आदि को यही चक्र शक्ति प्रदान करता है। योगदर्शन में ‘नाभिचक्रे कायव्यूहज्ञानम्’  सूत्र द्वारा नाभिचक्र में ध्यान करने पर शरीरव्यूहज्ञान, अर्थात् शरीर के अवयवों के सन्निवेश का ज्ञान…

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DehradunNews:- स्वाधिष्ठान चक्र करें जागृत

स्वाधिष्ठान चक्र (हाइपोगैस्ट्रिक प्लेक्सस बनाम उत्सर्जन तंत्र)। देहरादून – मूलाधार चक्र के दो अंगुल ऊपर पेडू के पास इस चक्र का स्थान है। तन्त्र-ग्रन्थों में इस चक्र में ध्यान का फल सृजन, पालन और निधन में समर्थता और  जिह्वा पर सरस्वती होना बताया है। स्वाधिष्ठान चक्र पेडू में है। इस चक्र में मूत्र-संस्थान है, जिसमें…

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DehradunNews:- मूलाधार चक्र जागृत करने से ओजस्वी एवं तेजस्वी बनते है

देहरादून – मूलाधार चक्र यह चक्र गुदामूल से दो अंगुल ऊपर और उपस्थमूल से दो अंगुल नीचे है। इसके मध्य  से सुषुम्णा (सरस्वती) नाडी और वाम कोण में इडा (गंगा) नाही निकलती इसलिए इसे मुक्त त्रिवेणी भी कहते हैं। मूलशक्ति अर्थात कुण्डलिनी अर्थात् कुण्डलिनी- शक्ति का आधार होने से इसे मूलाधार चक्र कहते हैं। इस…

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Dehradun News:-शरीर में सन्निहित शक्ति-केन्द्र

देहरादून – शरीर में सन्निहित शक्ति-केन्द्र या चक्र मानव शरीर में सन्निहित चक्र विविध प्रकार की अद्भुत शक्तियों के इंद्र हैं। ये समस्त चक्र मेरुदण्ड के मूल से प्रारम्भ होकर उसके ऊपरी भाग तक जुड़े हैं। साधारण अवस्था में ये चक्र बिना खिले कमल के सदृश प्रधोमुख हुए अविकसित रहते हैं। ब्रह्मचर्य पालन, प्राणायाम एवं…

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DehradunNews:- इस आसन को करने से मिलेंगे यह लाभ सिर-दर्द, वात-कम्प, स्नायु-दुर्बलता आदि

देहरादून – मूर्च्छा प्राणायाम में दोनों नासिकाओं (नाक) सांस लेकर  पूरक करके आँखें बन्द करते हुए सिर को ऊपर उठाकर पीछे ले जाते हैं, ताकि दृष्टि आकाश की ओर रहे। फिर अन्तः कुम्भक लगाते हैं। बाद में आँखें बन्दकर सिर को पहले की अवस्था में लाकर धीरे-धीरे सांस छोड़ते हैं इस रेचक कहते हैं। पुनः…

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DehradunNews:-गले, मुँह, नाक, जिह्वा के लिए करें सीत्कारी प्राणायाम

देहरादून –  सीत्कारी प्राणायाम करने के लिए ध्यानोपयोगी आसन में बैठकर जीभ को ऊपर तालु में लगाकर ऊपर -नीचे की दन्त पक्ति को एकदम सटाकर ओष्ठों को खोलकर रखें। अब धीरे-धीरे ‘सी-सी’ की आवाज करते हुए मुँह से सांस लें और फेफड़ों को पूरी तरह भर लें। जालन्धर बन्ध लगाकर जितनी देर आराम से रुक…

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Dehradun News:- करोंगे शीतली प्राणायाम शरीर होगा शीतल

देहरादून – शीतली प्राणायाम -ध्यानोपयोगी आसन में बैठकर हाथ घुटनों पर रखें। जिह्वा को नालोपुमा बोड़‌कर मुंह खुला रखते हुए मुँह से पूरक करें। जीभ (जिह्वा) से धीरे-धीरे श्वास लेकर कंफड़ों को पूरा भरें। कुछ क्षण रोककर मुँह को बन्द करके दोनों नासिकाओं में रेचक करें। पश्चात् जिह्वा मोड़कर मुँह से पूरक एवं नाक से…

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