“आँवला”
देहरादून – सामान्य स्वास्थ्य के लिए आंवला,नीम और करेला पुष्टक तथा स्वास्थ्य वर्धक होता है। सबसे पहले बात करते हैं आंवले के बारे में अगर किसी को अम्लता पेट के लिए 3 से 5 फलों के चूर्ण को दिन में दो बार दूध से लें अथवा 10-20 मि ली. फलों का रस दिन में दो बार लें अथवा कच्चा आंवला भी खा सकते हैं।
तनाव होने पर 25-50 ग्राम आंवला के फल के छिलकों को छांछ में पीस कर माथे पर लेप करें।
मधुमेह होने पर 10-20 मि.ली. ताजे आंवले का रस तथा इतनी ही मात्रा में ताजी हल्दी के रस को दिन में दो बार लें।
बाल सफेद होना पर आंवले को कूट कर रात भर पानी में डुबा कर रखें, नहाने से एक घण्टे पूर्व सिर पर लगाए। 1-2 ताजे फल नित्य प्रातः खाने से बालों को असामयिक सफेद होने से रोकता है।
मसूड़ों से खून बहना आंवले के बारीक चूर्ण से दांतों पर हल्के हाथों से मन्जन करें।
“नीम”
चर्म रोग में 10 मि.ली. नीम के पत्ते के रस को मधु के साथ दिन में दो बार दें।घाव होने पर नीम के पत्तों को पानी में पीस कर गुन गुना लेप लगाये अथवा नीम की छाल को पानी में धिसकर घाव पर लगायें।
पेट के कीड़े होने पर एक मुट्ठी नीम के पत्तों का काढ़ा बना 20 मि.ली. की मात्रा में खाली पेट तीन दिन तक पिलायें।
भूख न लगना पर एक मुट्ठी पत्तों से 20 मि.ली. काढ़ा बना कर खाली पेट तीन दिन तक पिलायें। अगर सिर में रूसी होने पर एक मुट्ठी नीम के पत्तों का काढ़ा बनाकर नहाने से एक घण्टे पहले सिर पर मलें।
करेला के लिए एक कहावत है कि एक तो करेला ऊपर से नीम चढ़ा, करेले के औषधीय गुण के बारे में जानते हैं जैसे अपचन होने पर 5-10 मि.ली. करेले का रस दिन में 2 बार पिलाये।
मधुमेह होने पर करेले के 1 से 3 ग्राम बीज के चूर्ण को पानी के साथ दिन में 2 बार लेना चाहिए।
भूख न लगना पर 10 मि.ली. करेले के रस को मट्टे के साथ दिन में 1-2 बाद लेना चाहिए।
चर्म रोग होने पर प्रातः काल खाली पेट 5-10 मि.ली. करेले का रस लेना चाहिए।
पेट में कीड़े हो तो 10 मि.ली. करेले का रस गुड़ के साथ प्रातः काल 3 दिन तक लें।
मुहाँसे होने पर 5-10 मि.ली. करेले का रस प्रातः काल खाली पेट पिलायें।