देहरादून – जायफल का खाने में जितना इस्तेमाल होता है उतना ही इसका आयुर्वेद में भी महत्व है, और इसको अनेक प्रकार से रोगों में उपचार के लिए प्रयोग किया जाता है जिनमें से कुछ निम्न प्रकार से है।
बच्चों को अगर डायरिया हो तो जायफल के पाउडर या फल को साफ़ स्थान पर पीसकर दूध या जल में दिन में तीन से चार बार दें।
चिड़चिड़ापन – यदि बच्चा रोता नहीं है बेचैन है एवं चिड़चिड़ापन स्वभाव का है तो उसके 1/4 से 1/2 ग्राम फल का पाउडर दूध के साथ दिन में 3से 4 बार दें।
झांई पड़ना – चेहरे पर झांई पड़ना एक सामान्य शिकायत है विशेष कर ऐसी औरतों में जो मासिक धर्म के करीब हों। जायफल को दूध में घिसकर प्रभावित जगह पर लगाने से लाभ मिलना है।
उदर दर्द – यदि डायरिया के कारण दर्द है तो इसका 2 ग्राम पाउडर गुनगुने पानी के साथ दिन में 3-4 बार लें। इससे दर्द का शमन होता है।
अब एक और घर की रसोई में अहमियत रखने वाली और उस के बिना भोजन अधूरा सा रहता है, वह है हींग। तो जाने हींग के विशेष गुण के बारे में अगर,
पेट दर्द – हींग को जल में घोल कर नाभि के चारों ओर लेप करें तथा सभी नाखूनों में लगायें।बच्चों एवं शिशुओं में विशेष रूप से जहाँ उदरीय समस्या है उसमें यह बहुत ही सहायक है। 1/2 ग्राम हींग को घी में भूनकर, मक्खन के साथ दिन में दो बार प्रयोग करें।
दांत दर्द – दर्द में भुनी हुई हींग को दर्द करने वाले दांत पर रूई में रखकर लगायें।
भूख न लगने पर/ मंदाग्निभोजन – भोजन करने से पहले घी में भुनी हुई हींग एवं अदरक का एक टुकड़ा, मक्खन के साथ खा लें।