शीतली प्राणायाम
देहरादून – शीतली का अर्थ है ठंडा करना। इसका मतलब शांत और जुनून रहित भी है। जैसा कि नाम से पता चलता है यह प्राणायाम मन-मस्तिष्क को शीतलता प्रदान करता है।
इसे विशेष रूप से शरीर के तापमान को कम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस प्राणायाम के अभ्यास से शरीर तंत्र में सामंजस्य आता है और मन शांत होता है।
इसको करने की तकनीक
शीतली प्राणायाम को करने के लिए पद्मासन या किसी अन्य आरामदायक बैठने की मुद्रा में बैठें, हाथ को नानामुद्रा या अंजलिमुद्रा में घुटनों पर रखें।
जीभ को किनारों से घुमाकर ट्यूब का आकार दें।इस ट्यूब के आकार की जीभ से सांस लें, फेफड़ों को उनकी अधिकतम क्षमता तक हवा से भरें, जीभ को मुंह के अंदर ले जाएं और मुंह बंद कर लें।
फिर दोनों नासिका छिद्रों से धीरे-धीरे सांस छोड़ें।यह शीतली प्राणायाम का एक दौर है।इसे 4 बार और दोहराएँ।
इस आसन को करने से फ़ायदे
शीतली प्राणायाम रक्त को शुद्ध करता है।इसका शरीर और दिमाग पर शीतल प्रभाव पड़ता है।यह उच्च रक्तचाप से पीड़ित व्यक्तियों के लिए फायदेमंद है।
यह प्यास बुझाता है और भूख शांत करता है।यह अपच और पित्त के कारण होने वाले विकारों से राहत देता है
यह गुल्म (पुरानी अजीर्ण) तथा प्लीहा अथवा अन्य सम्बंधित रोगों को नष्ट करता है (एच.पी. 2/58)।यह त्वचा और आंखों के लिए फायदेमंद है।
इस आसन को करने से पहले देखे चेतावनी
जो लोग गंभीर सर्दी, खांसी या टॉन्सिलिटिस से पीड़ित हैं उन्हें यह प्राणायाम नहीं करना चाहिए।