देहरादून – देश में अब तक लोकसभा के कुल 17 आम चुनाव हो चुके हैं। वर्तमान में देश 18वें चुनाव को सम्पन्न करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। उत्तराखंड में 24 का यह लोकसभा चुनाव पहले चरण में सम्पन्न होने जा रहा है।
चुनाव प्रचार का शोर आज 17 अप्रैल को 5 बजे थम जाएगा।आज टिहरी लोकसभा क्षेत्र के चुनावी इतिहास पर एक नजर डालते हुए पूर्व ब्लाक अध्यक्ष जोत सिंह बिष्ट ने पंचूरवार्ता से बात करते हुए बताया कि। 1952 से अब तक टिहरी सीट में 17 आम चुनाव के साथ 2 उप चुनाव भी हुए।
अब तक सम्पन्न हुए कुल 19 चुनाव में 9 बार कांग्रेस को जीत मिली जिसमें 3 बार मानवेंद्र शाह , एक बार परिपूर्ण नन्द पैनयूली, एक बार त्रेपन सिंह नेगी, दो बार ब्रह्म दत्त तथा 2 बार विजय बहुगुणा जो अब भाजपा में हैं ने जीत हासिल की।
8 बार भारतीय जनता पार्टी को जीत हासिल हुई, जिसमें 5 बार मानवेंद्र शाह तथा 3 बार माला राज्य लक्ष्मी शाह चुनी गई। 1952 में एक बार महारानी कमलेंदुमती शाह निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में सांसद चुनी गई।
इस प्रकार टिहरी सीट पर अब तक के 19 चुनाव में 12 बार राज परिवार को मौका मिल है। महारानी कमलेंदुमती शाह के बाद 1971, 1977, 1989 और 2019 में क्षेत्र के नामी गिरामी चेहरों ने जिनमें मानवेंद्र शाह, शार्दूल विक्रम शाह, इंद्रमणी बडोनी एवं गोपाल मणि, दौलत कुँवर, जैसे लोग शामिल हैं।
और निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा लेकिन कोई भी सफल नहीं हो पाया, यहाँ तक कि कुछ की जमानत भी नहीं बच पाई इस जानकारी से साफ है।
कि टिहरी लोकसभा क्षेत्र का मतदाता हमेशा से राष्ट्रीय सुरक्षा की भावना के साथ जुड़कर राष्ट्रीय पार्टियों के प्रत्याशियों को अपना प्रतिनिधि चुनता आया है। टिहरी सीट पर इस चुनाव में भाजपा और कांग्रेस आमने सामने है। मुख्य मुकाबला इन्ही दो पार्टी के प्रत्याशियों के बीच दिखाई दे रहा है।
अगर भाजपा और कांग्रेस के चुनाव लड़ने के तौर तरीकों पर बात करें तो साफ दिख रहा है कि भाजपा एक मजबूत नेता नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में, मोदी के नाम को सामने रखकर, एक घोषित एजेंडे के साथ विगत 6 माह से चुनाव मैदान में है।
राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी पूरे राज्य में अब तक 100 से अधिक जंनसभाएं कर चुके है। भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार की उपलब्धियों, धामी सरकार की उपलब्धियों के साथ बूथ स्तर पर कार्यकर्ता मतदाताओं से कई बार संपर्क साध चुके है।
टिहरी क्षेत्र में अब तक स्टार प्रचारकों के रूप में राष्ट्रीय अध्यक्ष, यूपी के सीएम योगी , राजनाथ सिंह जनसभाएं कर चुके है। चुनाव जीतने के लिए भाजपा पास मोदी का और धामी का नाम है। इसके बाद भी भारतीय जनता पार्टी ने अपने संकल्प पत्र में मोदी की जो 24 गारंटी शामिल की हैं।
तो वहीं कांग्रेस पार्टी का कोई भी स्टार प्रचारक नहीं आया वही प्रियंका गांधी की तीन सभा जनसभा को छोड़कर पूरे उत्तराखंड में अन्य किसी केंद्रीय नेता ने कदम नहीं रखा।
वहीं देश हित में अत्यंत महत्वपूर्ण होने के साथ इनमें उत्तराखंड का उल्लेख होने से उत्तराखंड का मतदाता पक्के तौर पर मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में देखने तो आतुर है।
टिहरी सीट पर 2465 मतदान केंद्र हैं। भाजपा ने प्रत्येक मतदान केंद्र पर औसतन 25 से 30 सक्रिय कार्यकर्ता तैयार किए हैं, विगत 3 माह में कांग्रेस के 2022 के विधानभा प्रत्याशी एवं बड़ी संख्या मे अलग अलग दलों के लोग भाजपा में शामिल होकर भाजपा को ताकत दे रहे हैं।
ऐसे में टिहरी सीट पर भाजपा बड़े अंतर से एक सुनिषित जीत की तरफ बढ़ चुकी है। दूसरी तरफ कांग्रेस में 2 साल से प्रदेश संगठन नहीं बन पाया है, अंदरूनी झगड़ों के कारण, आपसी तालमेल नहीं होने के कारण पार्टी के बड़े नेता चुनाव से किनारा कर गए।
अधीनकांश नेता परिवरवाद से अपनी अनदेखी के कारण या तो पार्टी छोड़ गए या फिर घर बैठे है। संगठन नहीं, चुनाव प्रबंधन नहीं, प्रभारी नहीं, स्टार प्रचारक नहीं, मीडिया कमेटी का झगड़ा, अध्यक्ष को किसी भी लोकसभा प्रत्याशी से ग्रीन सिग्नल नहीं।
तो ऐसे में देहरादून में बैठकर प्रेस के सामने भाजपा को गरिया कर संतोष करने के अलावा चारा नहीं है। उत्तराखंड में कांग्रेस में कोई ऐसा चेहरा नहीं है जिसको सर्वमान्य कहा जा सके।
जो लोग अपने को सबसे बड़ा नेता समझते हैं वह अपनी अपनी सीटों पर अपनी इज्जत बचाने में लगे होने के कारण प्रदेशभर में दिखने के बजाय अदृश्य हो रखे हैं।
पिछले 2019 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस चकराता को छोड़कर बाकी 13 विधानसभा में पराजित हुई थी और 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 12 सीटों पर करारी हार मिली थी।
भाजपा प्रत्याशी माला राज्य लक्ष्मी 2019 में 293949 मतों के अंतर से जीती थी जिस को पाटना कांग्रेस पार्टी के बस की बात नहीं है। तो फिर समझ जा सकता है कि भाजपा टिहरी सीट पर भारी बहुमत से जीत हासिल करने जा रही हैं।