करें ताड़ासन, वृक्षासन, पादहस्तासन बने निरोग

योग का अभ्यास मनोभाव से प्रार्थना के साथ शुरू करना चाहिए। ऐसा करने से योग अभ्यासियों को अधिकाधिक लाभ होगा।


Dehradun–  योगासन  चालन क्रियाएं/शिथिलीकरण के अभ्यास शरीर में सूक्ष्म संचरण बढ़ाने में सहायता प्रदान करते हैं।इस अभ्यास को खड़े या बैठने की स्थिति में किया जा सकता है।इसके करने से लाभ  यौगिक क्रिया के अभ्यास से हड्डियां, मांसपेशियां, गर्दन और स्कंध की तत्रिकाएं स्वस्थ रहती हैं।

यह योगाभ्यास गर्दन की रीढ़ की हड्‌डी की अपकर्षक (सर्वाइकल स्पान्डिलोसिस) बीमारी को दूर करता है और स्कंध संचालन में आने वाली रुकावटों से छुटकारा दिलाता है।

ताड़ासन (तांडवृक्ष की स्थिति में)ताड़ शब्द का अर्थ है पहाड़, ताड़ या खजूर का पेड़। इस आसन के अभ्यास ये स्थायित्व व शारीरिक दृढ़ता प्राप्त होती है। यह खड़े होकर किए जाने वाले सभी आसनों का आधार है।

ये भी पढ़ें:   Banned :- जवाडी बायपास में गाडियों की आवाजाही प्रतिबंधित

इस आसन को करने से लाभ इस आसन के अभ्यास से शरीर में स्थिरता आती है। यह मेरुदण्ड से सम्बन्धित नाड़ियों के रक्त संचय को ठीक करने में भी सहायक है।यह आसन एक निश्चित उम्र तक लम्बाई बढ़ाने में सहायक है।

वृक्षासन (पेड़ की स्थिति में)वृक्ष शब्द का अर्थ है पेड़। इस आसन के अभ्यास की अंतिम अवस्था में शारीरिक स्थिति एक पेड़ के आकार की बनती है। इसलिए इस आसन को यह नाम दिया गया है।

लाभ यह आसन तंत्रिका से संबंधित स्नायुओं के समन्वय और शरीर को संतुलित चनाने, सहनशीलता, जागरुकता एवं एकाग्रता बढ़ाने में सहायक है।

पादहस्तासन का अर्थ पाद अर्थात्  पैर, हस्त अर्थात्  हाथ। इस आसन के अभ्यास में हथेलियों को पैरों की ओर नीचे ले जाया जाता है। इस आसन के अभ्यास को उत्तानासन भी कहा जाता है।

ये भी पढ़ें:   Banned :- जवाडी बायपास में गाडियों की आवाजाही प्रतिबंधित

इस आसन को करने से होने वाले लाभ जैसे मेरुदंड को लचीला बनाता है,जठाराग्नि प्रदीप्त करता है, कब्ज़ तथा मासिक धर्म से संबंधित समस्याओं से बचाता है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *