
प्राण वह सवार है जो वायु रूपी घोड़े पर बैठकर यात्रा करता है
जाने कितने प्रकार के प्राण देहरादून – प्राण साक्षात् ब्रह्म से अथवा प्रकृति-रूप माया से उत्पन्न है। प्राण गत्यात्मक है। इस प्राण की गत्यात्मकता सदागतिक वायु में पायी जाती है, एक अर्थ से प्राण वह सवार है जो वायु रूपी घोड़े पर बैठकर यात्रा करता है, अतः गौणी वृत्ति से वायु को ही प्राण कह…