देहरादून – वन मंत्री सुबोध उनियाल ने वन मुख्यालय में स्थित वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग कक्ष में वनाग्नि प्रबन्धन व नियंत्रण के संबंध में समीक्षा बैठक ली गयी।
बैठक में प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ), उत्तराखण्ड, प्रमुख वन संरक्षक, परियोजनाएं, उत्तराखण्ड, अपर प्रमुख वन संरक्षक, वन्यजीव, उत्तराखण्ड, अपर प्रमुख वन संरक्षक, वनाग्नि एवं आपदा प्रबन्धन,
अपर प्रमुख वन संरक्षक, गढ़वाल, वन संरक्षक, भागीरथी, शिवालिक तथा यमुना, प्रभागीय वनाधिकारी, देहरादून व प्रभागीय वनाधिकारी,
मसूरी द्वारा भौतिक रूप से तथा मुख्य वन संरक्षक, कुमाऊँ, वन संरक्षक, गढ़वाल वृत्त तथा समस्त प्रभागीय वनाधिकारी व उप निदेशक, उत्तराखण्ड द्वारा ऑनलाईन रूप से बैठक में प्रतिभाग किया गया।
सर्वप्रथम प्रमुख वन संरक्षक डॉ धनंजय मोहन ने उत्तराखण्ड एवं अन्य उपस्थित अधिकारियों द्वारा वन मंत्री सुबोध उनियाल का स्वागत किया गया।
प्रमुख वन संरक्षक (हॉफ), उत्तराखण्ड ने बताया की वर्तमान वनाग्नि सत्र में अब तक एफ.एस.आई. द्वारा प्राप्त अलों की सूची में पूरे देश में उत्तराखण्ड 19वें स्थान पर है,
जो कि विगत वर्ष में प्राप्त अलर्टस की संख्या से अत्यन्त न्यून है। यह भी अवगत कराया गया कि वनाग्नि सत्र-2025 में विगत 2 वर्षों की तुलना में वर्तमान तक सबसे कम वनाग्नि घटनाएं घटित हुई है।
वन मंत्री सुबोध उनियाल ने वर्तमान सत्र में वनाग्नि नियंत्रण के कुशलतापूर्वक प्रबन्धन हेतु समस्त प्रभागीय वनाधिकारियों व उप निदेशकों को सतर्कता बरतने के साथ-साथ निम्नानुसार कार्यवाही करने के निर्देश दिये गये।
चीड़ बाहुल्य वन क्षेत्रों से चीड़ पिरूल एकत्रीकरण हेतु शासन द्वारा चीड़ एकत्रीकरण दरों में वृद्धि के संबंध में प्रिन्ट व इलैक्ट्रॉनिक एवं सोशल मीडिया के माध्यम से वृहद प्रचार-प्रसार किया जाये।
चीड़ एकत्रीकरण हेतु संग्रहण केन्द्रों की स्थापना क्रू स्टेशनों पर की जाये। फॉरवर्ड लिंकेज के कुछ उदाहरण फील्ड में वर्तमान में भी क्रियान्वित किये गये है।
इसी को बढ़ाते हुए प्रत्येक प्रभाग में प्रभागीय वनाधिकारियों द्वारा उद्योग विभाग से समन्वय स्थापित कर संग्रहित पिरूल का फॉरवर्ड लिंकेज स्थापित किया जाये।
सभी क्रू-स्टेशनों पर वनाग्नि शमन उपकरणों एवं उपयुक्त मानव संसाधन की व्यवस्था सुनिश्चित की जाये।
भविष्य में आवश्यकतानुसार फायर वाचरों की तैनाती एवं उनका सामुहिक बीमा मण्डलवार नोडल प्रभागीय वनाधिकारियों के माध्यम से कराया जाना सुनिश्चित करे।
वनाग्नि रोकथाम में जन-सहभागिता बढ़ाने हेतु ग्राम पंचायत स्तर पर शासनादेश के अनुसार वनाग्नि प्रबन्धन समितियों का गठन कर उनकों नियमानुसार इंसेंटिव प्रदान करने की कार्यवाही सुनिश्चित की जाये।
वनाग्नि प्रबन्धन सम्बन्धी गतिविधियों का वृहद रूप से प्रिन्ट/इलैक्ट्रॉनिक एवं सोशल मीडिया से प्रचार-प्रसार किया जाये तथा वन मुख्यालय पर मीडिया संयोजक / प्रभारी नामित किया जाये।