Dehradun News-करें कर्णरोगान्तक प्राणायाम होगा यह फ़ायदा

देहरादून – इस प्राणायाम में दोनों नासिकाओं से (पूरक) हवा को मुंह में भरकर के फिर मुँह एवं दोनों नासिकाएँ बन्द कर पूरक की हुई वायु को बाहर धक्का देते हैं, जैसे कि श्वास को कानों से बाहर निकालने का प्रयास किया जाता है। जब वायु का कानों पर जो दबाव होता है तो कानों…

Read More

Dehradun News:- जाने आंवला, नीम और करेले के औषधीय गुण

“आँवला” देहरादून – सामान्य स्वास्थ्य के लिए आंवला,नीम और करेला पुष्टक तथा स्वास्थ्य वर्धक  होता है। सबसे पहले बात करते हैं आंवले के बारे में अगर किसी को अम्लता पेट के लिए 3 से 5 फलों के चूर्ण को दिन में दो बार दूध से लें अथवा 10-20  मि ली. फलों का रस दिन में…

Read More

Dehradun News:-जीरा और काली मिर्च का आयुर्वेदिक इस्तेमाल

देहरादून –भारतीय भोजन पाक शास्त्र में जितना  जीरे और काली मिर्च का महत्व है, इस तरह आयुर्वेदिक में भी जीरे का महत्वपूर्ण है और जीरे का इस्तेमाल कई प्रकार से किया जाता है जैसे – सूखे जीरे का 3 ग्राम पाउडर एवं थोड़ा काला नमक गुन-गुने जल से दिन में तीन बार लें। डायरिया या…

Read More

Dehradun News:- जायफल और हींग का रसोई में करते इस्तेमाल वैसे ही रोगों में होती है यह लाभदायक

देहरादून –  जायफल का खाने में जितना इस्तेमाल होता है उतना ही इसका आयुर्वेद में भी महत्व है, और इसको अनेक प्रकार से रोगों में उपचार के लिए प्रयोग किया जाता है जिनमें से कुछ निम्न प्रकार से है। बच्चों को अगर डायरिया हो तो  जायफल के पाउडर या फल को साफ़ स्थान पर पीसकर…

Read More

त्रिकोणासन, भद्रासन,वज्रासन करने से ये फ़ायदा

“त्रिकोणासन” देहरादून – त्रिकोणासन शब्द का अर्थ त्रि अर्थात तीन कोणों वाला आसन है। चूंकि आसन के अभ्यास के समय धड़, बाहुओं एवं पैरों से बनी आकृति त्रिभुज के सदृश्य दिखाई देती है, इसीलिए इस अभ्यास को त्रिकोणासन कहते हैं। इस आसन को करने से होते है ये लाभ: पैर के तलवों से सम्बन्धित विसंगतियों…

Read More

दालचीनी और धनियां का करें इस्तेमाल ये लाभ होगा

Dehradun– दालचीनी का सामान्य इस्मतेमाल मसालों के रूप में प्रयोग किया जाता है। यह पाचक होता है और इसकी मधुर खुशबू दिमाग को आराम पहुँचाती है। अगर अपच हो जायें तो 2 ग्राम छाल के चूर्ण को दिन में 2 बार पानी से लें। भूख न लगना पर 2 ग्राम दालचीनी तथा अजवायन बराबर मात्रा…

Read More

आयुर्वेद में बताया गया है शिलाजीत का महत्व

देहरादून – न सोऽस्ति रोगो भुवि साध्यरूपः शिलाह्वयं यं न जयेत् प्रसह्य। अर्थात् दुनिया में कोई ऐसा रोग नहीं है जो शिलाजीत से ठीक नहीं होता हो। क्योंकि शिलाजीत का रिप्रोडक्टरी सिस्टम से लेकर रेस्पिरेटरी सिस्टम तक प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ता है। अर्थात् इससे स्पर्म काउंट बढ़ता है व अन्य यौन विकार दूर होते हैं। मूत्र…

Read More