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DehradunNews:-कुण्डलिनी जागरण के उपाय भाग पांच

देहरादून -कुंडलिनी जागृत करने की इच्छा रखने वाले साधक को प्रतिदिन संयम और अनुष्ठान, निरंतरता, लय, तन्मय और विश्वास के साथ 5 मिनट तक भस्रिका प्राणायाम, 30 मिनट तक कपालभाति, 11-21 बार बाह्य प्राणायाम और 30 मिनट तक अनुलोम-विलोम करना चाहिए। ध्यान के द्वारा अन्तः शरीर में प्रवेश कर जाने पर योगाभ्यासी को समस्त अतीन्द्रिय…

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DehradunNews:-कुण्डलिनी जागरण के उपाय भाग चार

देहरादून – प्राण-साधना का निरन्तर पूरी लगन से अभ्यास करते हुए ज्यों-ज्यों तमस् का आवरण क्षीण हो जाता है, मूलाधार चक्र, स्वाधिष्ठान चक्र एवं ऊपर सहस्त्रार चक्र तक सभी चक्र प्रकाशित होने लगते हैं। प्रारम्भ में  प्राणायाम-सिद्धि पर प्रकाशित हुए चक्रों का पूर्व रूप प्रदर्शित कर रहा है। सबसे निचला ‘मूलाधार चक्र’ का पूर्व रूप…

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DehradunNews:-कुण्डलिनी जागरण के उपाय भाग चार

देहरादून – सिद्धयोग के अन्तर्गत कुण्डलिनी का जागरण शक्तिपात द्वारा किया जाता है। यदि कोई परम तपस्वी, साधनाशील सिद्धगुरु मिल जायें तो उनके प्रबलतम ‘शक्तिसम्पात’, अर्थात् मानसिक संकल्प से शरीर में व्याप्त ‘मानस दिव्य तेज’ साधक को इन चक्रों का यह पूर्वरूप ही प्रथम दृष्टिगोचर होता है। तदनन्तर ध्यान के द्वारा अन्तःशरीर में प्रवेश कर…

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DehradunNews:- कुण्डलिनी जागरण के उपाय भाग तीन

देहरादून – प्राण-साधना के निरन्तर अभ्यास से जब चक्रों में रहनेवाली शक्ति पर आधिपत्य हो जाता है. तब मूलाधार से सहस्त्रार तक ‘प्राणशक्ति’ को स्वेच्छा पूर्वक संचालित कर लेने के सामर्थ्य से समस्त चक्रों का एवं उत्तरोत्तर अगले अगले कोशों का साक्षात्कार कर लेना अति सरल हो जाता है।  प्रारम्भ में ‘सौषुम्ण-ज्योति’ दर्शाती है कि…

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DehradunNews:-प्राणोत्थान’ कुण्डलिनी जागरण का प्रथम सोपान है

देहरादून – ध्यानाोपयोगी आसन में बैठकर मेरुदण्ड को सीधा रखने से सुषुम्णा से निकले नाडी गुच्छकों में ‘प्राण’ सरलता से गमनागमन करने लगता है। मेरुदण्ड के झुक जाने से संकुचित बने स्नायु-गुच्छक, अनावश्यक और अवरोधक कफ आदि से लिप्त होने के कारण प्राण-प्रवेश के अभाव से मलिन ही बने रहते हैं। प्राणमय-रूपी प्राण-साधना के साथ…

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DehradunNews:- प्राणशक्ति से कुण्डलिनी को करें जागृत

देहरादून – सिद्धयोग के अन्तर्गत कुण्डलिनी का जागरण शक्तिपात द्वारा किया जाता है। यदि कोई परम तपस्वी, साधनाशील सिद्धगुरु मिल जायें तो उनके प्रबलतम ‘शक्तिसम्पात’, अर्थात् मानसिक संकल्प से शरीर में व्याप्त ‘मानस दिव्य तेज’ सिमटकर ध्यान के समय ज्योति या क्रिया की धारा-सी बनकर शरीर में कार्य करने लगता है। आत्मचेतना से पूर्ण यह…

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DehradunNews:- यथा पिण्डे तथा ब्रह्माण्डे

देहरादून – चक्र-शोधन या कुण्डलिनी जागरण जो शक्ति इस ब्रह्माण्ड में है, वही शक्ति इस पिण्ड में भी है- ‘यथा पिण्डे तथा ब्रह्माण्डे।’ शक्ति का मुख्य आधार मूलाधार चक्र है। मूलाधार चक्र के जागृत होने पर दिव्य शक्ति ऊर्ध्वगामिनी हो जाती हैं; यह कुण्डलिनी जागरण हैं। जैसे सब जगह विद्युत् के तार बिछाये हुए हों…

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DehradunNews:- कुण्डलिनी शक्ति

देहरादून – कुण्डलिनी शक्ति मूलाधार चक्र में सन्निहित दिव्य शक्ति की ही अर्वाचीन तन्त्रग्रन्थों में कुण्डलिनी शक्ति और वैदिक साहित्य में इसे ब्रहावर्चस् कहा गया है। साधारणतया प्राणशक्ति इडा एवं पिंगला नाड़ियों से ही प्रवाहित होती है। जब व्यक्ति संयमपूर्वक प्राणायाम एवं ध्यान आदि यौगिक क्रियाओं का अभ्यास करता है, तब सुप्त सुपुष्णा नाड़ी में…

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DehradunNews:- शरीर में जीवात्मा यहां रहती है

देहरादून – सहस्त्रार चक्र तालु के ऊपर मस्तिष्क में ब्रह्मरन्ध्र से ऊपर सब दिव्य शक्तियों का केन्द्र है। इस चक्र पर प्राण तथा मन के निग्रह से प्रमाण, विपर्यय, विकल्प, निद्रा एवं स्मृति-रूप वृत्तियों का निरोध होने पर असम्प्रज्ञात समाधि की प्राप्ति हो जाती है। पिच्युटरी (पीयूष ग्रन्थि) एवं पीनियल सहित सम्पूर्ण अन्तःस्रावी ग्रन्थियों का…

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DehradunNews:- सम्पूर्ण नाडी तंत्र का आज्ञा चक्र से है सम्बन्ध

देहरादून – आज्ञा चक्र दोनों ध्रुवों के मध्य धुकुटी के भीतर है। कपालभाति, अनुलोम-विलोम एवं नाडी-शोधन आदि प्राणायामों के द्वारा प्राण तथा मन के शांत एवं स्थिर हो जाने पर ऑटोनोमिक एवं वालन्टरी नर्वस सिस्टम शान्त, स्वस्थ एवं संतुलित हो जाता है। सम्पूर्ण नाडीतंत्र आज्ञा चक्र से ही सम्बद्ध है। आज्ञा चक्र के जागृत होने…

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