नई दिल्ली – डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन यह भारत सरकार की एक प्रमुख रक्षा अनुसंधान और विकास एजेंसी है, जो देश की रक्षा और सुरक्षा के लिए विभिन्न प्रौद्योगिकियों और हथियारों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
इसने हाल ही में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के नेतृत्व में एक अत्याधुनिक 30-किलोवाट लेजर आधारित डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (DEW) Mk-II (A) का सफल परीक्षण किया है।
यह हथियार दुश्मन के ड्रोन, मिसाइलों, फिक्स्ड-विंग विमानों और जासूसी सेंसरों को कुछ ही सेकंड में नष्ट करने की क्षमता रखता है।
13 अप्रैल 25 को आंध्र प्रदेश के कुरनूल में नेशनल ओपन एयर रेंज (NOAR) में किए गए इस परीक्षण ने भारत को अमेरिका, रूस, चीन और इजराइल जैसे देशों के साथ एक विशेष क्लब में शामिल कर दिया है, जिनके पास ऐसी उन्नत लेजर तकनीक है।
यह हथियार पारंपरिक गोला-बारूद की जगह लेजर बीम का उपयोग करता है, जो प्रकाश की गति से लक्ष्य को नष्ट कर देता है। इसकी खासियत यह है कि यह बिना ध्वनि और धुएं के संचालित होता है,
जिससे इसे गुप्त सैन्य अभियानों के लिए आदर्श बनाता है। DRDO के चेयरमैन डॉ. समीर वी. कामत ने इसे “स्टार वॉर्स” जैसी तकनीक की शुरुआत बताया है, जो भविष्य में भारत की रक्षा क्षमताओं को और मजबूत करेगी।
परिचय: लेजर हथियार क्या हैं? डायरेक्टेड एनर्जी वेपन (DEW) की परिभाषा और कार्यप्रणाली।
लेजर हथियारों का वैश्विक परिदृश्य: अमेरिका, चीन, रूस और इजराइल की तकनीक।भारत का इस क्षेत्र में प्रवेश और इसका सामरिक महत्व।भारत का DEW Mk-II (A): तकनीकी विशेषताएं
30-किलोवाट की शक्ति और 5 किलोमीटर की परिचालन रेंज।360-डिग्री इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल/इन्फ्रारेड (EO/IR) सेंसर।ड्रोन, मिसाइल, हेलीकॉप्टर और जासूसी सेंसरों को नष्ट करने की क्षमता।
विभिन्न सैन्य प्लेटफॉर्मों (जमीन, जहाज) पर तैनाती की सुविधा।कुरनूल में 13 अप्रैल 2025 को हुआ ऐतिहासिक परीक्षण।फिक्स्ड-विंग ड्रोन, स्वार्म ड्रोन और अन्य लक्ष्यों को नष्ट करने में सफलता।
DRDO की हाई-एनर्जी सिस्टम्स सेंटर (CHESS) की भूमिका।लेजर हथियारों के फायदे
बिना गोला-बारूद की लागत के असीमित “शॉट्स”।सटीकता और गुप्त संचालन।पारंपरिक हथियारों की तुलना में कम रखरखाव।भारत की रक्षा रणनीति में महत्व
ड्रोन और स्वार्म ड्रोन के बढ़ते खतरों का मुकाबला।सीमा पर तैनाती और समुद्री सुरक्षा में उपयोग।आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत स्वदेशी तकनीक का विकास।
चुनौतियां और भविष्य की योजनाएं लेजर हथियारों की सीमाएं: मौसम, धूल और दूरी।DRDO की 300-किलोवाट सोलर लेजर हथियार की योजना।अन्य उन्नत तकनीकों (माइक्रोवेव, इलेक्ट्रोमैग्नेटिक पल्स) पर काम।
वैश्विक प्रभाव और भविष्य भारत की रक्षा निर्यात क्षमता में वृद्धि।क्षेत्रीय सुरक्षा पर प्रभाव, विशेष रूप से चीन और पाकिस्तान के संदर्भ में।स्टार वॉर्स जैसी तकनीकों की ओर बढ़ता भारत।
निष्कर्ष भारत का यह कदम रक्षा क्षेत्र में एक गेम-चेंजर।स्वदेशी नवाचार और वैश्विक नेतृत्व की दिशा में प्रगतिशील हैं।