नई दिल्ली – अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष आईएमएफ ने पाकिस्तान को एक अरब डॉलर की ऋण और 1.3 अरब डॉलर के नए लोन को लेकर के समीक्षा बैठक की।
जिसमें एक जिम्मेदार देश के तौर पर आईएमएफ द्वारा पाकिस्तान को लोन देने के मामले में भारत ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है।
भारत ने आईएमएफ को पाकिस्तान के उसे ट्रैक रिकॉर्ड का हवाला देते हुए कहा है कि आईएमएफ द्वारा दिए गए फंड का इस्तेमाल सीमा पर आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए किया जा सकता है।
भारत ने स्पष्ट किया है कि 1989 से लेकर अब तक 35 सालों में 28 बार आईएमएफ पाकिस्तान को लोन दे चुका है। पिछले 5 वर्षों में ही चार बार आईएमएफ ने पाकिस्तान को कर्ज दिया है।
पाकिस्तान अगर आईएमएफ फंडिंग का इस्तेमाल अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए करता तो उसे बेलआउट पैकेज के लिए आईएमएफ के पास आना ही नहीं पड़ता।
भारत में स्पष्ट कहा है कि पाकिस्तान का ट्रैक रिकॉर्ड आईएमएफ फंडिंग के इस्तेमाल और उसकी निगरानी प्रणाली को सवालों के घेरे में खड़ा करता है।
भारत ने साल 2021 में यूनाइटेड नेशन की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि पाकिस्तान में रक्षा विभाग ही देश का सबसे बड़ा बिजनेस है।
भारत में एक बार फिर से साफ कर दिया है कि इस स्थिति में अब कोई भी सुधार नहीं हुआ है और यहां तक की पाकिस्तान कि सेना ही अब पाकिस्तान के विशेष निवेश सुविधा परिषद के रूप में काम करती है।
भारत में आईएमएफ को याद दिलाया कि बार-बार बिलव्ड पैकेज देने से पाकिस्तान का खुद का कर्ज़ का बोझ कितना बड़ा हो गया है कि वह खुद आईएमएफ के लिए सर दर्द बन चुका है
भारत ने कहा कि सीमा पार आतंकवाद के लिए पाकिस्तान को प्रोत्साहित करना पुरी वैश्विक व्यवस्था के लिए एक खतरनाक संदेश है इससे फंडिंग एजेंसीज के खुद की साख सवालों के घेरे में आ जाती है।